माँ का साचा है दरबार,
चलो रे साथियों
माँ की महिमा अपरम्पार,
चलो रे साथियों
अपने भक्तों पर माँ की कृपा,
सदा बरसती रहती है
जो मांगो वो पाओ माँ से,
ना कभी नहीं कहती है
करती भक्तों से वो प्यार,
चलो रे साथियों
माँ का साचा है दरबार,
चलो रे साथियों
माँ ही दुर्गा, माँ ही काली,
माँ ही है भवानी
माँ के पग पर शीश झुकाते
माँ की महिमा न्यारी
करती असुरों का संहार
चलो रे साथियों
माँ का साचा है दरबार
चलो रे साथियों
माँ की ज्योत जलाये हम
माँ का श्रृंगार करें
माँ की पूजा करें हम,
माँ का गुणगान करें
माँ की करें जयजयकार,
चलो रे साथियों
माँ का साचा है दरबार,.
चलो रे साथियों
माँ की महिमा अपरम्पार,
चलो रे साथियों
माँ का साचा है दरबार,
चलो रे साथियों
डा. उषा पाण्डेय
बैशाली काव्य मंच
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