मानसिक स्वास्थ्य में हमारा भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण शामिल होता है। यह हमारे सोचने, समझने, महसूस करने और कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करता है। मानसिक रोग को मनोविकार या मानसिक स्वास्थ विकार इत्यादि के नामों से भी जाना जाता है। मानसिक रोग की स्थिति में व्यक्ति की मनोदशा, यादाशत, स्वभाव इत्यादि की प्रक्रिया पर असर पड़ता है और व्यक्ति का अपने भावो इत्यादि पर कोई काबू नहीं रहता है।मानसिक रोग को लेकर लोगों में काफी सारी गलतधारणाएं हैं। उनकी नज़र में यह केवल मन का वहम या अंधविश्वास है, जिसके लिए किसी तरह के इलाज की ज़रूरत नहीं है।
उनकी इसी धारणा का शिकार मानसिक रोगियों को होना पड़ता है।वे चाहते हुए भी इस पर बात नहीं कर पाते हैं और मानसिक रोग समय के साथ गंभीर रूप ले लेता है।ऐसे में यह जरूरी है कि लोगों की इस धारणा को बदला जाए और मानसिक रोग की पूर्ण जानकारी प्राप्त करे लक्षणों, कारणों को पहचान सकें और इसका सही इलाज करा सकें। हालांकि, मानसिक रोग के कोई सटीक कारण नहीं होता है, इसलिए यह कहना काफी मुश्किल है कि मानसिक रोग किस वजह से होता है या हो सकता है।
मानोविकार पर किए गए काफी सारे अध्ययनों से यह पुष्टि हुई है कि मानसिक रोग मुख्य रूप से इन 5 कारणों से हो सकते हैं-पारिवारिक माहौल का सही न होना- ऐसा माना जाता है कि अगर किसी घर में हर रोज़ लड़ाई- जगड़े होते हैं, तो इसका असर बच्चे पर बुरा असर पड़ता है।इसकी वजह से वे मानसिक रोग से शिकार हो जाते ।सिर पर चोट लगना- मानसिक रोग होने की संभावना उस स्थिति में भी काफी अधिक रहती है, जब किसी व्यक्ति के सिर पर चोट लग जाती है।बचपन में किसी दुर्घटना का होना- जब किसी बच्चे के साथ कोई दुर्घटना जैसे मां- बाप का देहांत होना, किसी प्रियजन की मृत्यु हो जाना, किसी कक्षा में फेल हो जाना इत्यादि हो जाती है, अपौष्टिक भोजन करना- हो सकता है कि कुछ लोग इस बात पर विश्वास न हो कि मानसिक रोग अपौष्टिक भोजन से भी हो सकता है। नशीले पदार्थों का सेवन करना- यदि कोई व्यक्ति नशीले पदार्थों का सेवन अधिक मात्रा में करता है, तो उसका असर केवल उसकी शारीरिक सेहत पर ही नहीं पड़ता है बल्कि यह उसकी मानसिक स्वास्थ को भी खराब करता है।मानसिक स्वास्थ्य रहने व मानसिक रोगियों को ख़ुश और स्वस्थ रखने के लिये ध्यान दे व निम्न बातों पर अमल करे ..योगा करना- मानसिक रोगी के लिए योगा करना (विशेष कर ध्यान लगाना) काफी लाभदायक साबित होता है क्योंकि उसके दिमाग को शांत करता है और उसे ऊर्जा पहुँचाता है, जिससे वह मानसिक रोग से ठीक हो जाता है।
मनोवैज्ञानिक के पास जाना- योगा करने के अलावा मनोवैज्ञानिक के पास मानसिक रोग का इलाज करने का बेहतर विकल्प साबित होता है।मनोवैज्ञानिक मानसिक रोगी के मस्तिष्क की स्थिति की जांच करता है और उसके अनुसार मानसिक रोग का इलाज करता है।दवाई लेना- मानसिक रोग का इलाज दवाइयों के द्वारा भी संभव है।ये दवाइयां मानसिक रोग को रोकने और मानसिक रोगी को ठीक होने में सहायक होती हैं।फिजियोथेरेपी लेना-अक्सर, मनोवैज्ञानिक मानसिक रोगी को फिजियोथेरेपी लेने की भी सलाह देते हैं क्योंकि उनके मानसिक रोग में दवाई या योगा इत्यादि कारगर साबित नहीं होते हैं।
नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती होना- मानसिक रोग का मुख्य कारण नशीले पदार्थ की लत भी है।ऐसी स्थिति में, मानसिक रोग का इलाज नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करके भी किया जा सकता है।इलाज न करने व लापरवाही घातक रुप ले सकती है। निराश रहना- मानसिक रोग की प्रमुख जटिलता निराश रहना है।
मानसिक रोगी को समय रहते इलाज न मिलने के कारण काफी उदास रहने लगता है और वह हर समय निराश रहने लगता है। रिश्तों में खटास का बढ़ना- मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्ति का अपने स्वभाव पर नियंत्रण नहीं रहता है।व रिश्ते बिगड़ते जाते है !अकेलेपन का आदी होना- मानसिक रोगी का किसी भी काम में मन में नहीं लगता है और वह अकेलेपन का आदी हो जाता है।
कानूनी या आर्थिक परेशानी का होना- अक्सर, ऐसा मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्ति हिंसक हो जाता है, जिसके चलते वह कोई गैर-कानूनी काम कर देता है।ऐसी स्थिति में, उसे कानूनी परेशानी का सामना करना पड़ता है।इसके अलावा, मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्ति अपनी लत को पूरा करने के लिए घर-बार इत्यादि को भी बेच देता है,
मौत होना- मानसिक रोग की सबसे बड़ी जटिलता व्यक्ति की जान जाना है।
जब मानसिक रोग अत्यधिक बढ़ जाता है और उसका असर व्यक्ति के दिमाग के साथ-साथ शरीर के अन्य अंगों पर भी बढ़ना लगता है।इस स्थिति, मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्ति को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।कैसे बचाव करे आत्मविश्वास बढ़ाने की कोशिश करना- सभी लोगों के लिए आत्मविश्वासी होना बहुत ज़रूरी होता है क्योंकि यह उन्हें ज़िदगी की मुश्किल का सामना करने की शक्ति देते हैं।
इसके अलावा, जहां तक बात मानसिक रोग की है, तो जो व्यक्ति आत्मविश्वासी होता है, उसमें मानसिक रोग होने की संभावना काफी कम रहती है।भरपूर नींद लेना- हालांकि, हम सभी इस बात को जानते हैं कि हर व्यक्ति के लिए भरपूर नींद (6-8 घंटे) लेना कितना जरूरी है।
किसी भी व्यक्ति के लिए कम नींद लेना हानिकारक साबित हो सकता है और इससे वह बीमार हो सकता है।इसी कारण, यदि कोई व्यक्ति मानसिक रोग से बचाव करना चाहता है तो उसे भरपूर नींद लेनी चाहिए।दोस्तों के साथ समय बिताना- हम सभी की ज़िदगी में काफी खास जगह रखता है, ये हमारा सुख के साथ-साथ दुख में भी साथ देते हैं।इसी कारण, ज्यादातर मनोवैज्ञानिक मानसिक रोग से पीड़ित लोगों को दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की सलाह देते हैं,
लॉफ्टर थेरेपी करना- हाल ही में लॉफ्टर थेरेपी काफी लोकप्रिय हो रही है। चूंकि, हँसने को काफी सेहतमंद माना जाता है, जिससे कि व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा आ जाती है , विशेषज्ञ लोगों को लॉफ्टर थेरेपी करने की सलाह देते हैं। चाय की जगह काफ़ी व ग्रीन टी पीना मानसिक रोग से बचाव करता है।
डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
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