भाई के साथ टेनिस और फुटबॉल खेलना भावना को बहुत ही पसंद था ।एक बार पार्क में फुटबॉल खेलते हुए भाई के दोस्त ने बोल दिया भावना घर जाओ लड़कियों वाले काम करो यह तुम्हारे बस का नहीं भावना को यह बात बहुत बुरी लगी और वह घर आकर रोने लगी। जब भाई घर आया और भावना ने बताया तुम्हारे दोस्तों ने बोला कि घर जाओ और लड़कियों वाला काम करो ।
भाई क्या लड़के और लड़कियों के काम अलग होते हैं ?भाई ने कहा नहीं अलग नहीं होते हैं काम वही होते हैं ,किसी भी काम को करने के लिए दिल और दिमाग में हिम्मत होनी चाहिए। कोई भी काम पूरा करने के लिए लड़का और लड़की होना कोई भी मायने नहीं रखते हैं। भावना तुम्हें दुखी नहीं होना चाहिए तुम्हें अपने पर विश्वास रखना चाहिए जो अपने पर विश्वास नहीं रखते हैं उन पर दूसरे भी विश्वास नहीं करते हैं । भाई की यह बातें भावना के बाल मन में छप गई और फिर भावना ने फैसला किया किजीवन में किसी भी प्रतिक्रिया के लिए आंसू नहीं बहाएगी स्वयं पर विश्वास करके सच्ची लगन से आप 9 पायलट बनने का फैसला किया। और वहपायलट बनने का सपना पूरा करने में लग गई।
बेगूसराय के बरौनी रिफायनरी टाउनशिप में डीएवी विद्यालय में पढ़ाई पूरी कर राजस्थान में इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी पूरी लगन के साथ करती रही उसी परीक्षा में उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के लिए जाने की इच्छा की पर 1992 से पहले महिलाएं रक्षा अकादमी के लिए अयोग्य मानी जाती थी। मन में राष्ट्र सेवा का भाव दबाए भावना सफर में आगे बढ़ती रही। बी एम एस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में मेडिकल इलेक्ट्रिक स्ट्रीम में अपनी इंजीनियरिंग करने का फैसला लिया और पढ़ाई पूर्ण करने के बाद एक दिन भारतीय वायु सेना में महिलाओं को अवसर उपलब्ध हो रहे हैं यह खबर पाकर भावना की खुशी का ठिकाना न रहा।
1991 से पहले महिलाएं वायु सेना में अलग-अलग हजारों पदों पर कार्यरत थी मगर लड़ाकू विमान उड़ाने के लिए महिलाओं को अयोग्य समझा जाता था। भावना ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से सारी जानकारी एकत्रित की और प्रवेश की तैयारियों में लग गई यूपीएससी द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा के माध्यम से एनडीए के आवेदकों का चयन किया जाता है इसके बाद आवेदकों को चिकित्सा परीक्षा के साथ व्यापक साक्षात्कार का सामना करना होता है जिसमें सामान्य योग्यता मनोवैज्ञानिक परीक्षण टीम कौशल साथ ही शारीरिक और सामान्य कौशल परीक्षाएं शामिल हैं भावना ने सभी परीक्षण सफलता पूर्ण पास किये।
यह परीक्षा साल में दो बार जुलाई और जनवरी मैं आयोजित होती है। प्रत्येक लिखित परीक्षा में हजारों आवेदकों में से 350 से 500 आवेदन ही स्वीकार किए जाते हैं।इन्हीं आवेदकों में से 40 कैडेट वायु सेना 50 कैडेट नौसेना शेष को आर्मी में स्वीकार किया जाता है।भावना ने निरंतर कठिनाइयों को पार करते हुए अपने सपनों की उड़ान को जारी रखा और बिना रुके सभी परीक्षाओं को पास कर आज लड़ाकू विमान मिग-21 बायसन का सफल प्रशिक्षण ले रही थी लड़ाकू विमान उड़ाना हर पायलट का सपना होता है ।लड़ाकू विमान मिग 21 बायसन की रफ्तार बहुत ही तेज होती है इसको उड़ाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण होता है।
लड़ाकू विमान मिग-21 अकेले ही उड़ा कर भावना ने इतिहास रच दिया भावना के बड़े भाई जो वर्तमान समय में भारतीय सेना में कार्यरत हैं । बहन की सफलता से फूले नहीं समाते। भावना के जीवन का फैसला कि कभी भी किसी प्रतिक्रिया के लिए आंसू नहीं बनाऊंगी,आज नारी शक्ति की मिसाल बन गई हैं।भावना, मोहना, और अवनी तीनों ही लड़ाकू महिला सेनानी पायलट हैं।
वर्तमान मेंभारतीय वायु सेना में पहली बार महिला युद्ध पायलट के रूप में भावना अवनी चतुर्वेदी और मोहना सेन , नारी शक्ति के स्तंभ के रूप में स्थापित हैं।
"जिंदगी जीने का खास मकसद होना चाहिए,
और अपने फैसले पर विश्वास होना चाहिए।
जीवन में खुशियों की कोई कमी नहीं है,
बस जीने का एक अलग अंदाज होना चाहिए।।"
साधना मिश्रा विंध्य
उत्तर प्रदेश लखनऊ
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