आज पूरा विश्व महामारी की मार झेल रहा है कई समस्याएं सबके सामने है जिसमे एक बड़ी समस्या रोजगार की है क्योंकि व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकता है रोटी कपड़ा मकान और आज कई कारखाने ,विद्यालय, महाविद्यालय होटल व अन्य वैसा पूरी तरह लंबे समय से बंद है।
व्यक्ति रोटी अगर कमाया नहीं तो खाए कैसे रोटी अर्थात रोजगार सरकार ने नई नई योजनाएं बनाई है जिसमें प्रधानमंत्री रोजगार सृजन, मुख्यमंत्री ग्राम उद्योग लघु कुटीर उद्योग उद्योग शामिल है करोड़ों का बजट सरकार में रोजगार के लिए उपलब्ध कराया है। जिसके अंतर्गत घरों में खाद्य पदार्थ बनाना ,कृषि,पशुपालन ,लघु कुटीर उद्योग जिसमें पापड़ बड़ी ,चिप्स, अचार बनाना शामिल है । महिलाएं सिलाई व खाद्य पदार्थ बनाकर रोजगार पा रही है , हमें ब्रांड को छोड़कर आसपास के बने खाद्य पदार्थों का उपयोग करना होगा जिसे वोकल फार लोकल कहते हैं ।
विदेशी कंपनियों की भरमार है जिसकख उपभोग कर अपने देश का नुकसान कर रहे है । आसपास के रोजगार को हटा रहे हैं इसके लिए जरूरी है कि हम अपने लोकल सामानों का इस्तेमाल करें आसपास के छोटे फेरी वालों से छोटे उद्योगों से सामान ले जिससे कई लोगों को रोजगार मिले सरकार पलायन कर चुके मजदूरों को उनकी योग्यता के अनुसार पुल, नहर ,तलाब खोदना, कृषि कार्य सड़क बनाना सिखा रही है रोजगार दे रही हैं। ताकि उनका जीवन यापन हो सके इतनी विकट समस्या है कि रोजगार के अभाव में लोग आत्महत्या कर रहे है।
किसी दुकान में 10 नोकर है । उन्हें भुगतान 12000 किया जाता है मगर लाभ कम होने के कारण अगर किसी को निकालना है तो विकट समस्या होती है लोगों को ना निकाल कर का भुगतान कम किया जाए 12 की जगह 8000 दिया जाए किसी को बेरोजगार न किया जाए क्योंकि बेरोजगारी के कारण अपराध व आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं।
हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से लोगों की इस महामारी के काल में मदद करें अधिक से अधिक जानकारी मुद्रा लोन के लोगों तक पहुंच जाए ताकि वह नया काम शुरू करें वह लोकल सामानों का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें इसी उम्मीद के साथ कि इस महामारी के बाद कई और नए रोजगार भी उपलब्ध हो जाएंगे मगर इस समय में लोगों की मदद कर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराना चाहिए ताकि उनका जीवन यापन हो सके।
ट्विंकल अडवानी
बिलासपुर
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