यह तो सत्य है कि आजकल की कठिन परिस्थितियों में रोजगार के अवसर अधिक उपलब्ध नहीं हैं। किंतु हाथ पर हाथ धरकर बैठने से भी किसी समस्या का हल नहीं निकलता है। मजदूरों के शहरों से पलायन करने से कारखाने बंद पड़ गये हैं। देनिक मजदूरी कर गुजारा करने वाले भी फांका कर रहे। सबसे बड़ा नुकसान कामवाली बाईयों का हुआ। बीमारी फैलने के भय से उनको तुरंत बाहर का राश्ता दिखा दिया गया। भवन निर्माण कार्य भी ठप्प पड़ गये। तो इससे जुड़े सभी उद्योग भी बंद ही हुए पड़े हैं। ऐसी परिस्थिति में ध्यान देना होगा की आजकल कौन सा रोजगार है जो फल फूल रहा है। जी हां किराना, खेती किसानी से जुड़े बड़े व्यापारी व आनलाइन उद्योगों की खूब चांदी हुई। वहीं मास्क बनाने वाले, और सेनिटाइजर उत्पादनों की भी खूब मांग के चलते, ये उद्योग धंधे खूब फले फूले। अतैव मांग को देखते हुए दर्जी मास्क बनाने में जुट गये। आजकल बाज़ार में हाथों से बने मास्क हर रंगों में उपलब्ध हैं और आकर्षण का भी केंंद्र बन रहे। हाध धोने और घरेलू उपकरणों की स्वच्छता के सामान जो अब स्प्रे में भी उपलब्ध हो गये हैं। इनका उद्योग खूब फलफूल रहा। जो लोग अन्य वस्तुओं की दुकानें नहीं चल रहीं का रोना रो रहे। वो भी अपनी दुकान को अंतर्जाल पर डालकर खूब कमाई कर सकते हैं। क्योंकि बहुत समय बीत जाने के बाद अब सबको सब कुछ खरीदना है, पर बाज़ार जाकर नहीं घर में बैठकर। जो दुकान को आनलाइन ना कर पाएं वो घर पर पहुंचाने के प्रस्ताव के साथ व्हाटसैप पर भी अपनी दुकान के सामान की प्रदर्शनी लगा सकते हैं। रोजगार बढा सकते हैं। मित्रों रोजगार तो एक अवसर है। जो भी करना चाहे उसके लिए सर्वत्र उपलब्ध होता है। बस आसपास नज़र उठाकर देखने की जरूरत है।
--स्नेहा उपाध्याय
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