तत्कालीन परिस्थितियों में रोजगार की उपलब्धता-सुषमा

आज जिन विषम व विकट परिस्थितियों में रोजगार की समस्याएं उभरी है, इससे समाज का हर तबका, प्रभावित हुआ है। बडे़ से बड़ा व्यवसाय व छोटे से छोटे कारोबारी, व्यापारी,किसान  शिक्षण संस्थाएं,बाजार आदि. आज कोरोना काल में व्यक्ति के अंदर ,अजीब सा भय समाया हुआ है! घरों में बंद रहकर आनलाइन सारे काम हो रहे है! इसकी वजह से कही न कही एक मानसिक दबाव सा बना हुआ है। 
जिनको बँधा वेतन मिलता है, वे तो फिर भी अपना जीवनयापन   कर रहे है, लेकिन जो "दैनिक वेतन भोगी " है उन्हें तो विकराल समस्याओं व बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। कहाँ जाएं? कैसे करे काम?  दिहाड़ी मजदूर  बेचारे सबसे ज्यादा परेशान। अगर कहीं काम मिलता है भी है तो, दस शर्तें होती है, वेतन कम मिलता है.. पर पेट सब करने को मजबूर करता है। 
इन समस्याओं से जूझते हुए कई लोगों ने अपने, घरेलू उत्पाद शुरू किए हैं, लेकिन उन्हें बेचना कठिन है। खाद्य वस्तुओं पर सौ शक पैदा हो जाते है, कही यह वस्तु या बेचने वाला संक्रमित तो नही है आदि ...! आज कुटीर उद्योग भी जैसे बंद  से हो गये है। बाजार में दुकानों के बंद होने से किसी भी सामान की, खरीद-फरोक्त में, कई उलझनों का सामना करना पड़ रहा है। सारा विश्व इस भयावह त्रासदी से परेशान है।आर्थिक रपट से, पूरा विश्व एक वर्ष पीछे हो गया है। फिर भी हिम्मत कर जनमानस अपना हौसला बना कर, काम पर निकला है। अगर नहीं करेगें तो, अपने परिवार के भरण-पोषण की समस्याओं से कैसे निपटा जाए। इस समस्या के समाधान में सब लगे हैं।हमें गरीब असहाय लोगों, मानसिक व आर्थिक सहयोग भी करना चाहिए। यह समस्या कब हल होगी इसका समय कोई निश्चित नही है!   समय को देखते हुए,अब सबको सावधानी रखते हुए, काम करने की आदत तो बनाना ही होगी..!!! 


सुषमा शर्मा इंदौर



 



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