विषम परिस्थितियां सदैव असिमित अवसरों के साथ आती है,यहि वह अवसर होता है जब हम अपने भीतर छुपी प्रतिभा, कर्मठता,और जिजीविषा के माध्यम से प्रतिकुलता को अनुकुलता में परिवर्तित कर सकते है।वर्तमान समय रोजगार के लिए विकट स्थिति लेकर उपस्थित हुआ है। कोरोनाकाल में जो लोग अच्छी तरह अपना जीविकापार्जन कर रहे थे,वे भी बहुत प्रभावित हुए हैं और अब इस परिस्थिति से निपटने हेतु प्रयास भी कर रहे है,कई लोगों ने नये व्यवसाय आरंभ किए, स्वरोजगार योजना को अपना प्रशिक्षण लेकर स्वनिर्मित सामान बनाये। अपने सामान को आनलाइन उपलब्ध करवा कर स्वयं ही अपने लिए रोजगार उपलब्ध कराया।पहले पूरा परिवार आर्थिक विकास में सहायक नही होता था,बदले समय ने मुश्किलें अवश्य बढ़ाई पर सभी को एकजुट भी किया है,इस वजह से सभी आर्थिक रूप से तो सहायता करते हैं साथ में मानसिक और शारीरिक रूप से भी सहयोग कर रहे है।
सभी आत्मनिर्भर बन रहे हैं, आनलाइन सीख रहे है, एक-दुसरे को सीखा रहे हैं।तनाव बढ़ा है, मानसिक रूप से भी और सीमा पर भी, किंतु हमारे देश की यहि विशेषता है, विपरीत परिस्थितियों से निपटना और उससे जूझना हमें बखूबी आता है। सीमा पर हमारा सैन्यबल और देश में हर घर में सभी अपनी योग्यता और क्षमताओं के अनुरूप इस विषमता को समता में बदलने का भरसक प्रयास कर रहे हैं।पहले हम दूसरे देशों पर अपने आर्थिक विकास हेतु निर्भर थे,पर अब हम अपने ही उत्पादों को अपना रहे हैं और उसकी गुणवत्ता में निखार लाकर शीघ्र ही दूसरे देशों को भी निर्यात कर आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने का प्रयास भी कर रहे है।हम धीरे धीरे स्वतः ही इस परिस्थिति से निकलकर फिर सुदृढ और सशक्त बनेंगे।
ममता कानुनगो इंदौर
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