तत्कालीन परिस्थितियों में रोजगार की उपलब्धता- सुधा


हमारा देश में इस वैश्विक महामारी से पहले भी रोजगार की स्थितियां अनुकूल नहीं थीं। बढ़ती हुई जन संख्या और संसाधनों के समुचित के प्रबंधन के बावजूद भी देश में बेरोजगारी की समस्या रही है। हमारे देश में में आज भी" जन जन को रोजगार" एक प्रमुख चुनावी मुद्दा है, परन्तु वर्तमान में महामारी के चलते रोजगार की उपलब्धता घटी है। सरकार की रोजगार परक अनेकों योजनाओं व अथक प्रयासों के बावजूद भी रोजगार के अवसर मांग के अनुपात में बहुत कम है। हालांकि राज्य सरकारों ने पलायन कर वापस घर लौटे दिहाड़ी मजदूरों, के मनरेगा के अंतर्गत की रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये हैं। उन्हे योग्यता अनुसार स्वरोजगार के लिए ऋण  दिये। व्यापारियों को नये नये उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, किसानों, मजदूरों को जाब कार्ड दिये गये हैं। सरकारी तंत्र देश में सभी को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए व्यापक प्रबंध कर रहे हैं, इसके बाद भी महामारी  दुष्प्रभाव के फलस्वरूप रोजगार की उपलब्धता अभी भी सीमित ही है। लोग अभी भी रोजगार के लिए अपने प्रदेश से दूसरे प्रदेशों में जाने में हिचकते हैं। महामारी के प्रकोप ने आज बड़े पैमाने पर देश की बेरोजगारी में बढ़ोत्तरी हुई है तथा  रोजगार के अवसर उनकी उपलब्धता,काफी सीमित होती जा रही है।
सुधा शर्मा कानपुर।


 




 


 


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