उड़ान-मीरा द्विवेदी

*साहित्‍य सरोज साप्‍ताहिक लेखन भाग 07
विधा      - कविता
विषय     - "उड़ान"
आयोजन संचालक - किरण बाला चंडीगढ़



तुम धरा पर आयी हो,
करने तुमको हैं काम अलग।
वेदों में जो वर्णित हो,
भरने उसमें हैं प्राण सजग।


वसुधा जैसा धैर्य लिए,
सागर सी गहराई है ।
श्रद्धा से नतमस्तक तू,
तरणी पार लगाई है ।


पगचिह्न बने जो पहले से,
उनसे भी आगे बढ़ना है ।
दिव्य पताका हाथ में हो ,
उन्मुक्त गगन में उड़ना है।


चक्षु खुले रखना हरदम,
विश्वास नहीं डिगाना है।
शीतलहर हो; या हो पतझड़,
मशाल अपनी जलाना है ।


बन जाओ तुम लक्ष्मी, दुर्गा,
अश्रु नहीं अब बहना  है ।
धरती-अम्बर एक मिला दो,
मस्त उड़ान अब भरना  है ।
      
रचयिता-मीरा द्विवेदी वर्षा
हरदोई, उत्तर प्रदेश।




 


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