उड़ान-प्रीति चौधरी

*साहित्‍य सरोज साप्‍ताहिक लेखन भाग 06
विधा      - काव्‍य
विषय     - "उड़ान"
आयोजन संचालक - किरण बाला चंडीगढ़


रोको न कोई अब मन की उड़ान को,
कल्पना के पर लगाकर छू लो आसमान को।


शिक्षा के आभूषण से अलंकृत हो जीवन,
आशाओं के संचार से मुदित होवे मन,
मुकुलित हों जीवन में सद्गुणों के सुमन,
यदि आत्मविश्वास का दीप प्रज्ज्वलित हो उर में,
जीत सकते हैं फिर हम समूचे जहान को।
रोको न कोई अब मन की उड़ान को...


सुख दुःख होते हैं जीवन का आधार,
व्यथित कब होता है मन का संसार?
साँसे हैं क्षणिक जीवन का अमूल्य उपहार,
जीवन के उत्सव को हर्षोल्लास से जियो,
अतृप्त न छोड़ो हृदय के अरमान को।
रोको न कोई अब मन की उड़ान को...


प्रीति चौधरी "मनोरमा"
जनपद बुलन्दशहर
उत्तरप्रदेश



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