कमला ने सारा घर का काम ख़त्म कर पड़ोस में रहने वाली अपनी जेठानी को फ़ोन लगाया हेलो जीजी आ जाओ काम ख़त्म हो गया हो तो ...क्यो छुटकीअरे जीजी वो “ रागोली “ है न उसने कहा - की मैं एक काढ़ा बनाना बताती हूँ , रोग प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ेगी और उसने कहाँ था ... ? “जीजी “बता न और उसने क्या कहाँ था पहेली क्यों बुझा रही है “कमला घर आओ तो आगे “उसने क्या कहा था “बताती हूँ रख फ़ोन आती हूँ जीजी बोली और तुझे मेरी आज याद कैसे आई यह तो बता छुटकी ..
जी जी मैं कोरोना भगाओ काढ़ा बनान लगी सोचा आप को भी बुला लू साथ में काढ़ा पीयेंगे व सीरियल भी देखेगे ,और उसने क्या बताया वह भी बता दूँगी आप के भी बहुत काम की बात है ।
“ उधर से अरे छिटकी काम हुआ नहीं है , पर छोड काम का क्या है रोज़ ही रहता है तुम काढ़ा तैयार रखो मैं आती हूँ फटाफट दो मिनट में काम ख़त्म कर , “ अच्छा जीजी जल्दी आना ! और कमला काढ़ा बनाने लगी साथ गुनगुना रही थी
“जो पियेगा मेरे हाथ का बना काढ़ा , बन जायेगा तगड़ा , सदा रहेगा कोरोना भय से दूर “.तब तक दरवाज़े की बेल बज उठी ..
कमला दरवाजा खोलते हुए जीजी बहुत जल्दी काम निपटा लिया ।
“जीजी नहीं छुटकी सब समेट कर रख दिया काम कियो सो नी अच्छा बैठो में काढ़ा लाती हूँ जीजी स्टीम लोगी बहुत आराम मिलेगा गले में ...पहले काढ़ा ले आओ बाद में सोचते है ..कमला दो कप काढ़ा जिसमें अदरक , तुलसी पत्ता, दालचीनी, लौंग , कालीमिर्च , आदि डाल कर बनाया गया था .कमला ने जीजी को काढ़ा दिया और बोली आराम से पिना धीरे धीरे ।
काढ़ा पिते पिते “ जीजी अचानक बोली ऐ छुटकी अब बता “उसने क्या कहा था “और तुम इतने दिनों से रोज़ काढ़ा पी रही हो तुम्हारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कितनी बढ़ी ज़रा वह भी बता ...?अरे जीजी बडे काम की बात है हमने अमल की हमारा काम तो बहुत मस्त हो गया और का बताए रोग प्रतिरोधक क्षमता कितनी बड़ी बहुत बढ़ गई अब ये डरने लगे है मुझसे“ऐसा क्या हो गया छुटकी ज़रा खुल कर बताओ ..“ जीजी हमका एक दिन रागोली का मर्द मिला राहे बजारे बहुत परेशान कहेंस रांगोली बहुत लड़ती है हम से परेंशान हो गया हूँ ज़रा समझाओ उसे ,तो जीजी हम रांगोली के घर गईन तो देखती हूँ वह खूब मुटा गई है ।हमने राज पूछा तो उसने कहाँ एक काढ़ा बना कर पी रही हूँ उससे शारीरिक शक्ती आती दिमाग़ चलता है सब रोग भागते है , तब कान में “उसने कहा था “इसे पिनें से मर्द क़ाबू में राहत है !तू भी पी तेरा भी भला होगा मर्द तुमसे जीत न पाई ।बस तब से हमने भी पीना शुरू कर दिया ..अरे जीजी यह काढ़ा बहुत फ़ायदे का है पहले तुम्हार देवर के संग हमार लड़ाई होती थी तो हम आधे घंटे में थक जाती थी सांस फूलने लगती , दिल ज़ोर से धक धक करन लागत राहें अब तो दिन भर झगड़ा चलता है पर न सांस फूले न चक्कर आवें न जी घबरायें ..अब तो हम बराबरी से लड़ते हैं ये झल्ला कर कहते हैं कोरोना काल में सब पस्त हो गये एक तुम हो जो काढ़ा पी पी कर मस्त हो गई हो !बोल बोल कर थकती नही , बस करो मेरी माँ मुझे बख्श दो मैं हार गया ...,तो जीजी यह है काढ़े का प्रभाव कोरोना तो भगाता है ससाथ ही पति को भी नकेल डलवायें राखत है !छूटकी हमऊ का बता दे कैसे बनत है तुम्हार भाई का हमऊ ज़रा चमकाई और दोनों देवरानी जेठानी ज़ोर से हंस पड़ी बडे काम की बात “उसने कहा ...
डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
0 टिप्पणियाँ