चांद का दीदार- मधु वैष्णव

चांद का दीदार
रूहानी प्रेम की तपिश में,
धवल ज्योत्सना से मिलने,
चांद जज्बातों का,
 मिलने प्रीत की ,
दहलीज पर आएगा।
सोलह श्रृंगार कर सजनी,
ओढ़कर लाज का गहना,
मधुर मिलन की राह में
मधु,, चांद समर्पण का,
मिलने  इंतजार की,
दहलीज पर आएगा।
सुभाषित अनुबंध के साज,
गुंजित प्रणय राग की सरगम,
छलकी हसरतों की मधुशाला,
चांद अनुभूति का,
मिलने मनोभावों की,
दहलीज पर आएगा।
मखमली एहसासों में
मनमीत  धड़कती रागों
निरुपम रीति-रिवाजों से
चांद प्रीतम  दीदार का,
मिलने समर्पित श्रद्धा की ,
दहलीज पर आएगा। 

मधु वैष्णव "मान्या"
जोधपुर, राजस्थान,




 


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