खूबसूरत चांद तो हूं नहीं मैं
पर सुंदर मन की मल्लिका कहलाऊं
हां तुम साज बन जाओ तो
सुरीली तान बन जाऊं मैं
मांग भरी टीका माथे पर
नयन मैं काजल भरके
सोलह सिंगार करके
प्यार मनुहार लिए दिल में
तुम्हारे मन की रानी
बन जाऊं मैं
प्रतीक्षारत कंठ सूखा लिए मैं
हाथ पूजा की थाली सजाए
खड़ी हूं कब से आस लगाए
छलनी से देखूंगी आज दो चांद
गगन में एक दूजा धरा पर।
छेड़ना सरगम कोई तुम
मैं तुम्हारी रागिनी हो जाऊं
हां तुम साज बन जाओ
मैं सुरीली तान बन जाऊं।
नीता चतुर्वेदी
वीदिशा
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