सावित्री देवी के पति का स्वर्गवास अभी हाल ही में हुआ है। उनके 2 बेटे हैं। एक बेटा पुलिस में कार्यरत है। दूसरा बेटा शिक्षक है। जबसे उनके पति का देहांत हुआ है बहू- बेटे का व्यवहार उनके प्रति परिवर्तित हो गया है।दोनों बेटे जो उनके पति के सामने उनकी बहुत देखभाल करते थे,अब उनसे उनका हालचाल भी नहीं पूछते हैं। अपनी -अपनी ज़िंदगी में दोनों व्यस्त हैं। अब सावित्री देवी बहुत ही अकेलापन अनुभव करतीं हैं। कभी - कभी उन्हें महसूस होता है कि वह घर में कोई फालतू का सामान मात्र हैं।
वह इस शुष्क व्यवहार का कारण भी बहुत ही अच्छे ढंग से जानतीं हैं। उनके नाम पर पति कुछ जमीन छोड़ गए हैं। जिसपर दोनों ही बेटों की नजर है। अब सावित्री देवी पर वे आये दिन जमीन अपने नाम लिखवाने के लिए दबाव बनाते रहते हैं। उन्होंने कई बार उन दोनों के इस आग्रह को नकार भी दिया है । किंतु वो तरह - तरह के छल- प्रपंच रचकर आये दिन जमीन जमीन की रट लगाए रहते हैं।
आज तो हद ही हो गई ,जब उनका शिक्षक बेटा शाम को घर आता है, तो सीधा माँ के कमरे में जाता है। माँ प्रसन्न हो जातीं हैं कि शायद आज मेरा बेटा कुछ समय मेरे पास व्यतीत करने के लिए आया है। वह धीरे - धीरे माँ के पैर दबाते हुए कहता है "माँ सभी टीचर्स का प्रमोशन हो रहा है....और मेरा ही प्रमोशन नहीं हुआ है।" माँ कारण जानना चाहती हैं। तो वह जवाब देता है कि "प्रमोशन के लिए मैनेजमेंट कमेटी के मेम्बर्स ने दस लाख रुपये की मांग की है।"और आपको तो पता है कि मैं इतने पैसे कहाँ से लाऊंगा"
"अभी तो नौकरी लगे ही कुछ समय हुआ है"
माँ का हृदय द्रवित हो गया, उन्होंने अश्रुपूरित नयनों से कहा "बेटा जो कुछ मेरा है, सब तुम्हारा ही तो है। वो जमीन किस काम की, जो औलाद के काम नहीं आ सके। कल ही वकील से बात करके लिखा- पढ़ी का काम निपटा लेना। जमीन तेरे नाम कर दूँगी।अगले दिन जब यह बात दूसरे बेटे को पता चली तो उसने माँ से पूछा " माँ क्या वही आपका बेटा है? मैं नहीं हूँ... हम दोनों से आपको समान व्यवहार करना चाहिए।
जैसा कि पिताजी करते थे। वो हमेशा हम दोनों के लिए एक जैसे कपड़े सिलवाते थे... एक जैसे खिलौने लाते थे... एक जैसे बैग.. और उपहार.. फिर आप सारी जमीन उसे ही कैसे दे सकतीं हैं?अपने दरोगा बेटे की बात सुनकर सावित्री जी नतमस्तक हो गईं। अन्ततः उन्होंने अपनी जमीन दोनों बेटों में आधी - आधी बाँट दी। जमीन का हिस्सा मिलते ही दोनों भाईयों में इस बात को लेकर बहस होने लगी कि माँ को कौन अपने पास रखेगा? दोनों ने ही अपनी असमर्थता जता दी । तब बहुओं ने कमान संभालते हुए निर्णय लिया कि "ओल्ड एज होम"में भेज दिया जाए। और फिर सावित्री जी को उनके दोनों बेटे वृद्धाश्रम में छोड़ आये।
और पुत्र वियोग में उन्होंने सप्ताहांत में प्राण त्याग दिए। सावित्री देवी की जमीन ,मकान,रुपये-पैसे, जेवर सब यहीं रह गया। जिसका उपभोग स्वार्थी कुटुंब जन करेंगे। जमीन का एक टुकड़ा माँ के प्रेम पर भारी पड़ गया।
प्रीति चौधरी "मनोरमा"
जनपद बुलन्दशहर
उत्तरप्रदेश
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