करवां चौथ हिंदू भारतीय महिलाओं के लिये विशेष महत्व रखता है ।यह महिलाओं के सुहाग की सलामती के लिये रखा जाता है । निलिमा की अभी नई नई शादी हुई है वह भी करवा चौथ को पूरी श्रद्धा से करना चाह रही है ,और पूरी जानकारी सिल कर रही थी , उसके मन में उत्सुकता थी ।टी वी पर कई सिरीयल में देखा था तब से ही करने की चाह थी ।
निलिमा ने अपनी जेठानी किरण को पूछा दीदी आप मुझे करवाचौथ के बारे बताईये न किरण ने बड़े अनमने मन से कहा तुम्हे नही मालूम , तुम्हारे धर में नही होता क्या ....? और फिर बताना शुरु किया यह व्रत हम हिंदुओं नारीयों का अति महत्वपूर्ण पर्व है , यह मान्यता है की जो पत्नि इस व्रत को निर्जला रखती है और चाँद को अर्घ देती है विधी विधान से पूजा करती है । उसे सात जन्मों तक यही पति मिलता है और उस स्त्री का सुहाग अमर रहता है । पूजा के बाद पति पत्नि को जल पिलाकर उपवास तोडता है ।निलिमा को यह सब सुन कर बहुत अच्छा लग रहाँ था ।उसने उत्सुकतावश और पूछा दीदी और क्या करते है , मेरा पहला करवा चौथ है न , आप बता दे मैं सब तैयारी कर लूँगी ।किरण ने कहाँ कल करवा चौथ है आज हम सब मेंहदी लगायेंगे सुबह चार बजे उठ कर फैनी दूध चाय जो लेना हो सब मिल कर कलेवा करते है । शाम को पूजा करेगे कथा सुनेंगे , कथा सुनने के बाद अपनो से बड़ों को सगुन देते है साँस को साड़ी वग़ैरा जो मन करे या मायके से आता है वो । देते है , बड़ों से आशिर्वाद लेते है।
खाने में कढ़ी भात खीर पूरी व चावल के आटे के लड्डू बनते है । जो करवा में डालते है । उसे सुहागन को अकेले ही खाना होता है ।इसी तरह बहुत सी बाते है , माँ जी बता देगी , मै जा रही हूँ मेंहदी लगाने , मेंहदी लगाने वाली आ गई है ।
तुम भी काम निपटा कर आ जाना । “
“जी दीदी निलीमा ने कहा और काम में लग गई ।वह मन में सोचने लगी करवा चौथ का व्रत “टी वी “में “तो अलग दिखाते है हकिकत तो और है । पर पति की सलामती के लियें है जरुर करुगीं ।
अंदर से निलिमा को ँखुशी हो रही थी ।
सारा काम निपटा कर निलिमा ने भी मेंहदी लगाई और अपनी सासु जी से पूछने लगी माँ जी मैं क्या पहनू कल पूजा में ।
माँ जी ने कहाँ बेटा तेरी मर्ज़ी है वह पहन आज तक मुझसे यह बात किसी बहू ने नहीं पूछीं मुझे बहुत ख़ुशी दे गया तेरा यह पूछना देख बेटा वैसे तुम कुछ भी पहनों , इस घर में बहुओं को किसी चीज़ के लिये मनाही नहीं हैं । पर समय के हिसाब से रहना , मर्यादा , अनुशासन का पालन करना घर का मान सम्मान बढाता हैं । मेरे हिसाब से तुम लाल साड़ी पहनना और सारे जेवर भी पहना , दुल्हन की तरह सजना है , तुम्हारा चांद तुम्हें देखता रह जाऐ ।निलीमा शर्माते हुए , जी माँ जी तब माँ ने समझाया सुबह जल्दी उठना बेटा अलार्म लगा लेना फैनी खाना है । चाय दूध जो मन करे , लेना मुझे जगा देना बड़ी बहू से कुछ मतलब ही नहीं रहता काम से , मैं उठ कर तुम्हें बता दूँगा , जाओ सुबह जल्दी उठना है ।
“ निलिमा माँ जी एक बात और मुझे कुछ आता नहीं है न ज़्यादा जानकारी है , आप ही सहायता करे , मैं दीदी , और आपको क्या दूँ नेग , आप बता दो मुझे समझ नही है मेरी मम्मी ये सब नही करती है । पहले से पता नहीं किया ।
“ माँ जी कोई बात नही बेटा घर की बात है , शकुन के हिसाब से कुछ भी दे देना । कुछ संकोच करने की जरुरत नही है सब भरा पड़ा है कुछ न हो तो मिठाई का डब्बा दे कर पैर पड़ लेना , चलो जाओ अब सो जाओं ।
सुबह तीन बजे से उठ कर निलिमा ने गुगल बाबा की मद्दत से सबके लिये फ़ैनी तैयार की और भी कई चीजे गर्म हलवा बनाया , टेबल को बहुत तरीक़े से सजा कर , चाय का पानी चढ़ा कर माँजी को आवाज़ दी माँ जी आ जाओ मैंने सब तैयार कर दिया है और टेबल पर सजा दिया है माँ जी और किरण दीदी आ गई , माँ जी बेटा तुमने सब अकेले इतना कुछ किया मुझे जगा देती , आज वर्षों बाद लग रहा की करवा चौथ आया है । नीलिमा बेटा ईंश्वर तुम्हें वह दे जो तुम चाहों , तुमने मेरा दिल जीत लिया , माँगो दो माँगना है , नीलिमा बस माँ जी , खाना शुरु करे , और टेबल पर बैठ कर फ़ैनी , हलवा खा कर माँ जी निलिमा की और तारीफ़ करने लगी बहुत अच्छा बनाया है । बहुत आशिष दिये मांजी ने निलिमा को , यह सब देख कर , किरण जल भुन गई माँ जी इतनी तारीफ करना किरण को पंसद नहीं आया ।“ निलिमा ने कहाँ “दीदी आप चाय लेगी या काफ़ी किरण ने कहाँ जो आप पिला देगी हम पी लेंगे । आप का राज्य है , सब आप के हाथ के नीचे है , निलिमा मेडम,
किरण की बेरुख़ी देख , माँ जी ने किरण को डाट लगाई किरण तुम्हारी बातों में जलन ईष्या की बू आ रही है वह तुम्हारी छोटी बहन जैसी हैं ।
रात को उठ कर नींद ख़राब कर तुम्हारे लिये हम सबके लिये प्यार से करवां चौथ का कलेवा तैयार किया तुम प्रशंसा की जगह कटाक्ष कर रही हो ।तुम्हारे राज्य में तो हमें केला या मिठाई खा कर काम चलाना पड़ता था । तारीफ नहीं कर सकती तो चुप रहो ...यह सब बदतमीज़ी मेरे घर नही चलेगी ।सब को मिलजुल रहना है मिलकर काम करना है समझी ।बडी हो बड़प्पन का मान रखो चलो उठो किरण अपने शब्दों को वापस लो व तुम निलम को चाय बना कर पिलाओ क्यो की उसका भी व्रत रहेगा, सारा दिन वह तैयारी करेगी सबकी पूजा की व्यवस्था घर का काम वह भी इंसान है । किरण घर का माहौल तभी सुहाना रह सकता है जब रिश्तों में प्यार हो , अपनापन हो , एक दूसरो को समझो सराहो सम्बंधो को सुहाना बनाओ नहीं तो घर नर्क बन जायेगा आज करवां चौथ का व्रत तभी सार्थक होगाजब तुम लोग इसपरिवार का वातावरण मिल कर सुहाना बनाओगें । सम्बंधो में ताजगी रखो आई बात समझ में किरण
सम्बध सुहाने रहेंगे तो जीवन सुहाना होगा , और उसके लिये त्याग , समर्पण और प्यार की जरुरत है ।किरण ने कहाँ जी माँजी , मुझे माफ़ कर दो ग़लती हो गई ,और उसने निलम को गले लगा कर , क्षमा माँगी व बोली तुम बैठो अब में तुम्हे चाय पिलाऊँगी ,इतने में घर के और लोग भी आ गये और बोले हमारे लिये भी चाय , आज से हम सभी करवां चौथ रखेंगे सब हंस पड़े पुरे घर का माहौल सुहाना हो उठा
सुहाने घर की सुहानी रीत जो शुरु हो गई थी सबने एक साथ उठकर माँजी के पाँव छूये तभी किरण बोली एक शेल्फी तो बनती है ।
तब निलिमा बोली नही पहले मैं सबकी फोटो लेती हूँ फिर सेल्फी
सबने बैठ कर कलेवा किया फोटो निकाले और काम पर लग गये ।
दिन भर पूजा की तैयारीयां कर सब पकवान बना कर घर की औरतें तैयार हो गई आज निलिमा ने माँ जी को खुद तैयार किया हल्का मेकअप लाल बाडर्र की साड़ी माँ जी राजमाता लग रही थी ।
तभी घर के सब आदमी आ गये और बोले सब तैयार रखो आठ दस पर चाँद निकलेगा
बहुत प्यास लग रही है माँ छोटा बेटा बोला ,
माँ जी बहार आई नई अदा से मटकती सब आँख फाड़ देखने लगे ।
एक साथ आप तो राज माता लग रही है ,
माँ जी वो तो मैं हू इस घर की राज माता चलो उठो सब लोग जल्दी से हाथ पाँव धोकर तैयार हो कर छत पर आ जाओ हम लोग जा रहे है ।
और छोटे तुम्हें किसने व्रत रखने को कहाँ नही रख सकते तो तोड़ तो नीलिमा कुछ नहीं कहेगी ।
नहीं माँ बात यह है, की आफिस में काम में भूख प्यास का पता चलता पर घर आते ही ..प्यास लग आई ..रोक लूँगा
माँ जी रोकना होगा छोटे आधा घंटे की बात है ..
माँजी ने बहुओं को आवाज़ दी की चलों छत पर चाँद आने वाला है तुम लोगो के चाँद को भी ऊपर बुला लो ।
सबने छत पर चाँद को देख पूजा की और आदमियों ने अपनी अपनी पत्नीयों को पानी पिला कर उपवास तुड़वाया ।
सब बेटे बहू ने बड़ों के पैर पड़कर आशीर्वाद लिया और मिल कर सबने भोजन किया ,
भोजन करने के बाद माँ जी ने नीलिमा को बुलाया और सबके सामने अपनी तिजोरी की चाबी सौंपते हुये बोली मेरा उत्तराधिकारी मिल गया है ।
मैं आज से सेवा निवृत्त हो रही हूँ
नीलिमा में वो सारे गुण हैं जो परिवार को एक साथ जोड़ कर रखे ।
“ नीलिमा माँ यह सब मेरे बस का नहीं आप ही रखे मैं आप के साथ हूँ आप आदेश व मार्गदर्शन करतीं रहें ।
मैं सब करुगीं बस सब चाबियाँ आप रखे यह आप को ही सम्भालना है ।
सभी ने नीलिमा की बात का समर्थन किया और मां को गले लगा लिया ।
तब ससुर ने उठ कर नीलिमा को आशीर्वाद दिया , और कहाँ मेरी बेटी की कमी आज पूरी हो गई ।
तुम लक्ष्मी रुप हो बेटी यह गुण अपने बनायें रखना , कभी मत बदलना
तभी बड़ी उठी और माँ जी से माफ़ी माँगी और बोली माँ मैं शर्मीदा हूँ , आज मेरी ग़लतियों का एहसास हो गया है, परिवार प्यार और सेवा से चलता है ।
मेरी सोच पर पर्दा पड़ा था नीलिमा ने मेरी आत्मा को जगा दिया। और कर्तव्य भी लिखा दिये ।
माँ जी ने किरण को गले लगाया और बोली बेटा तुम दोनों मेरे दो हाथ हो मेरी बगीयां को महकाते रहना । अब मेरा परिवार पुरा हो गया । चौथ महरानी की जय
डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
मौलिक
अलका पाण्डेय -
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