चमके अंबर में सदा ,
चौथ चाँद मन भाय ।
रूप सुहावन चाँद की ,
तन पुलकित कर जाय।।1।।
सौभाग्यवती नारियाँ ,
रह निर्जल उपवास ।
पति प्रेम रहे भाग्य में ,
करे हृदय में वास ।।2।।
माता करवा दे उसे ,
सदा सुखद वरदान ।
सोलह श्रृंगारित हो ,
पाय प्रेम अवदान ।।3।।
प्रेम डोर से बाँधते ,
पति - पत्नी इक होत ।
रिश्तों में विश्वास का ,
जले सदा ही जोत।।4।।
त्याग ,तपस्या प्रेम का ,
रहे सदा भंडार ।
चाँद सदा शीतल रखे ,
करे कष्ट संहार ।।5।।
छप्पन रस पकवान का ,
भोग सजाकर थाल ।
आशित कंचन पाट माँ ,
चमक रहा हैं भाल।।6।।
चँदा सम मुँह देख कर,
सजनी खिल-खिल जात।
करे परायण नीर से ,
पूजा शुभ हो जात ।।7।।
अखण्ड सुहाग हो सदा ,
माँगे है वर नार ।
दुनिया से आगे चलूँ ,
प्रीत सजन पर वार।। 8।।
चाँद - चाँदनी सम सदा ,
रहे सलामत साथ ।
महादेव वर देत है ,
राखे सिर दो हाथ।।9।।
पावन प्रतीति चाँद को ,
जगत देख मुस्काय।
सुंदर सुरभित ये लगे,
नारी आशीष पाय।।10।।
पुष्पा गजपाल "पीहू"
महासमुंद(छ. ग.)
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