करवाचौथ-निरूपमा

कहानी -


 


विवाह के उपरांत जब भी मैं शाम को ऑफिस से घर पहुंचता तो अपनी  पत्नी ममता को घर -भर की सेवा करते हुए पाता ।कभी वह धुले हुए सूखे कपड़ों की तह जमाती ,कभी मां के साथ सब्जियां सुधारती, अक्सर किसी न किसी काम को करती हुई नजर आती। सारा दिन सुबह से घर -गृहस्ती के काम में लगी ही रहती।मुझसे कभी कोई शिकायत उसने नहीं की थी ।


आज शाम को ऑफिस से जब मैं घर पहुंचा ,तो ममता को आराम से बैठा हुआ देखकर ,मैं उससे पूछ ही बैठा -अरे! आज घर में तुम्हें कोई काम नहीं है।फिर उसे चिढाने के अंदाज मे कहा- तो जाओ मेरे लिए चाय बनाने के बाद मां के पैरों को ही जाकर दवा दो। काम करते रहने की आदत जो हो गई है तुम्हें ।


वह मुस्कुराते हुए बोली - मैंने घर का सारा काम यहां तक कि रात का भोजन बनाकर भी टेबल पर रख दिया है, तुम्हें ही आज मां और बच्चों के साथ स्वयं परोस कर खाना होगा ।थोड़ी देर में ही मेहंदी लगाने वाली आकर मुझे मेहंदी लगाएगी ।कल करवा चौथ जो है, हम सब खाना खा चुके थे और मैं अपने काम में लग गया, बच्चे टीवी पर अपने पसंदीदा कार्यक्रम को देखने चले गए मैंने देखा ममता बड़े ही अनमने  मन से रसोई के काम को समेट रही है।मैंने पूछा- ममता मेहंदी वाली नहीं आई ,रात्रि के 8:00 बज चुके हैं ।वह बोली- नहीं किसी कारणवश वह नहीं आ सकेगी । मां भीतर के कमरे में बैठी सुन रही थी ।कुछ घंटों पहले की खुशी अब ममता के चेहरे पर दिखाई न देती थी ।


थोड़ी देर बाद अचानक किसी ने दरवाजे की घंटी बजाई ।मैंने जाकर दरवाजा खोला- तो देखा ,सामने हाथों में मेहंदी लिए मां की मित्र तिवारी आंटी की पोती खड़ी थी। मां ने ही उसे बुलवाया था ,अपनी बहू को मेहंदी लगवाने के लिए। फटाफट ममता के हाथों में मेहंदी लगाकर वह चली गई। ममता मेहंदी लगे हाथ लेकर मेहंदी के सूखने की प्रतीक्षा कर रही थी और मां उसे देख कर मन ही मन प्रसन्न हो रही थी ।एक दूसरे के प्रति उनका स्नेह भाव देखकर मैं भी इन दोनों की लंबी उम्र की कामना कर रहा था।


निरुपमा त्रिवेदी,इंदौर



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