आखिर लव जिहाद का अर्थ है क्या? जिहाद का अर्थ धर्म की रक्षा के लिए किए जाने वाले युद्ध से है, किंतु वर्तमान समय में इसका अर्थ किसी मुस्लिम युवक द्वारा झूठ बोलकर अपनी पहचान को छिपाकर गैर मुस्लिम युवती को विवाह अथवा प्रेम का झांसा देकर हिंदू धर्म से इस्लाम धर्म में परिवर्तित करवाना है । अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर मुस्लिम युवकों द्वारा गैर मुस्लिम युवतियों को जाल में फंसा कर मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए मजबूर क्यों किया जा रहा है ?कुछ ढोंगी सेक्युलर लोगों का विचार यह भी हो सकता है कि आजकल प्रेम -विवाह का प्रचलन तो सामान्य सी बात है !आखिर फिर इसमें क्या परेशानी है ? तो ऐसी विचारधारा वाले लोग यह बात अच्छे से समझ लें कि प्रेम विवाह में कोई किसी को धर्म परिवर्तन के लिए कभी भी मजबूर नहीं करता है ,क्योंकि यदि प्रेम है ,तो धर्म परिवर्तन आखिर क्यों ? अगर परिवर्तन करना ही है ,तो मुस्लिम का क्यों नहीं? हिंदू का ही क्यों ?मेरी बात की सत्यता से आप सभी भलीभांति परिचित हैं । मुझे अधिक कहने की आवश्यकता नहीं है ।
लव जिहाद का मुख्य उद्देश्य हिंदुस्तान का इस्लामीकरण करके मुस्लिम जनसंख्या में वृद्धि करके आतंकी गतिविधियों को संचालित करना है ।सोची समझी साजिश के तहत कट्टरपंथियों के द्वारा इसे 'लव जिहाद अभियान' के रूप में चलाया जा रहा है । वर्ष 2009 में भारत में राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार केरल में उसके बाद कर्नाटक में ऐसे लव जिहाद के कई मामले सामने आए किंतु धीरे-धीरे विहार, कानपुर ,राजस्थान, दिल्ली और देश के लगभग सभी स्थानों पर इस प्रकार के मामलों की बाढ़ -सी आ गई ।जिसमें गैर मुस्लिम युवतियों को षडयंत्र पूर्वक फंसा कर उनका उत्पीड़न शोषण किया गया और धर्म परिवर्तन न करने की स्थिति में उनकी हत्या कर दी गई। हाल ही में निकिता कमर का उदाहरण हमारे सामने प्रश्नचिन्ह बनकर खड़ा हुआ है कि आखिर कब तक यूं ही बेटियों की कट्टरपंथियों द्वारा बलि ली जाती रहेगी ?आखिर कब तक परिवार यूं ही टूटते बिखरते रहेंगे ?जिंदगी कब तक यूं मौत को गले लगाती रहेगी?अब विचारणीय और महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि लव जिहाद पर अंकुश कैसे लगाया जा सकता है ?मेरे विचार में इस पर लगाम कसने के लिए निम्नलिखित प्रयास हम कर सकते हैं-
- पारिवारिक भूमिका -सबसे पहला और प्रभावकारी तरीका यह है कि बाल्यकाल से ही परिवारजन बालिकाओं को लव जिहाद के षड्यंत्र कुचक्र में फंस कर दुर्गति को प्राप्त हुई बच्चियों का उदाहरण देकर जागरूकता उत्पन्न करें तथा हिंदू धर्म हिंदू संस्कृति की शिक्षा देकर सुसंस्कारित करें ।किसी कारणवश कुचक्र में फंसने पर स्वयं अपनी जान देने के बजाय इस तरह की दुर्भावना रखने वाले की जान ले लें। पड़ोस ,सोशल मीडिया ,मित्र -संबंधी आदि के साथ-साथ अभिभावक बच्चियों के आचरण पर दृष्टि रखें। लव जिहाद के फलस्वरूप होने वाले विवाह के उपरांत मुस्लिम -धर्म की कुरीतियों जैसे- बहुविवाह ,गौ मांस भक्षण ,शोषण- उत्पीड़न आदि की सत्यता से अपनी बच्चियों को अवश्य अवगत करावे।
- हिंदू जन जागरण समितियों का गठन -मुस्लिमों को छोड़कर सभी धर्म के मानने वालों को एकजुट होकर संगठन बनाकर जागरूकता अभियान चलाना होगा। जिसके तहत ऐसे संगठन कुचक्र में फंसने जा रही हिंदू बालिकाओं को जागरूक करते हुए उन्हें समझाइश दें। किसी कारणवश लव जिहाद में फंसी हुई हिंदू युवतियों को पुनः हिंदू धर्म के युवाओं द्वारा सम्मान के साथ अपना लिया जावें।
- धर्म गुरुओं व धार्मिक संगठनों की सक्रिय भूमिका -धर्म गुरुओं व धार्मिक संगठनों की ओर से हिंदू बालिकाओं को आत्म सम्मान की रक्षा हेतु शस्त्र संचालन प्रशिक्षण अनिवार्य कर दिया जावे ।विकट परिस्थितियों में शीघ्रता से उस स्थान पर पहुंचकर त्वरित मदद की जावे।
- सख्त कानून व कानूनी सहायता- स्त्री सम्मान पर मंडराते हुए इस संकट में राजनीतिक दल अपना स्वार्थ छोड़कर सरकार से सख्त कानून बनाने की मांग करें और जब तक कानून को स्वीकृति ना मिले ,तब तक जनजागृति अभियान चलाया जाए कानून में कठोर से कठोर दंड का प्रावधान हो, साथ ही लव जिहाद का शिकार हिंदू युवतियों को शीघ्रता से निशुल्क कानूनी मदद उपलब्ध कराई जाए।
लव जिहाद के कुचक्र में लगातार हो रही हत्याओं ,यौन उत्पीड़न , धर्म परिवर्तन पर अक्सर चुप्पी साधने वाले कुछ संगठनों को सख्त कानून के प्रावधान की बात पर अचानक संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकार याद आ जाते हैं और वे गंगा -जमुना तहजीब की धारा में हिंदू बेटियों के सम्मान को बलात सहजता से बहा देना चाहते हैं। ऐसे तथाकथित ढोंगियों से मेरा प्रश्न है कि क्या चुनी हुई सरकार के द्वारा हिंदू संस्कृति को ,उसके सम्मान को ,उसके अस्तित्व को ,यूंही मिटते हुए देखते रहना चाहिए ?क्या उन्हें कोई कड़ा कानून बनाने की मांग करना नहीं चाहिए ? अपरिपक्व बेटियों को दैहिक व मानसिक शोषण के कुचक्र में फंसा देखकर क्या गूंगा -बहरा -अपाहिज हो जाना उचित है ? क्या पद ,पैसे ,प्रभाव आदि का दुरुपयोग करके ,छद्म वेश में ,बदले हुए नाम- पहचान के छलावे के साथ प्रेम जाल में फंसाना धूर्तता और अनैतिक आचरण नहीं है? निश्चित ही मेरे द्वारा उठाए गए इन सब प्रश्नों का उत्तर 'हां' ही है। तो फिर सख्त कानून की मांग क्यों नहीं ?यदि कानून बनता है तो उसका स्वागत क्यों नहीं? मैं पूछती हूं- "आखिर और कितनी निकिता इन अपराधियों की बलि चढ़ाई जाएंगी?"
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