संस्मरण
बात उन दिनों की है जब मेरा विवाह मेरे पति श्री सुभाष सिंह डबास जी ( जो दिल्ली पुलिस में कार्यरत हैं )से वर्ष 2010 में हो गया था। विवाह के उपरांत जब मैंने अपने पति से बताया कि मुझे कविता लेखन का अधिक शौक है, तो उन्होंने मुझे कविताएं लिखने के लिए प्रोत्साहित किया।
तथा कुछ प्रकाशकों की ईमेल आईडी दे दी ताकि मैं अपनी रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित करा सकूं। किंतु मेरी एक भी रचना कहीं भी प्रकाशित नहीं होती थी। तब मेरे पति ने संकल्प लिया कि मेरी रचनाओं का एकल काव्य संग्रह प्रकाशित कराएँगे। मुझे विश्वास नहीं हुआ उन्होंने कहा कि" दीपावली से पूर्व यह तोहफा अवश्य तुम्हें प्राप्त हो जाएगा। बस कविताएं संग्रहित करना प्रारंभ कर लो ।" और फिर उन्होंने मेरा प्रथम काव्य संग्रह "यादों के तरु" नाम से प्राची डिजिटल पब्लिकेशन के माध्यम से प्रकाशित कराया।इस पुस्तक के प्रकाशन का सभी खर्च उन्होंने सहर्ष वहन किया, अपना अमूल्य समय देकर मेरे सपने को साकार किया ।दीपावली से कुछ दिन पूर्व ही मेरा संग्रह उन्होंने मुझे उपहार स्वरूप भेंट किया, तो मेरी प्रसन्नता को शब्दों में लिखना मेरे लिए भी कठिन हो गया।
मुझे ऐसा अनुभव हुआ जैसे मैं सातवें आसमान पर हूँ और मेरा देखा हुआ सुंदर सपना पूरा हो गया। वह मेरी यादगार दीपावली रही..जिसमें अनेक आशाओं के दीप जगमगा उठे... असंख्य प्रेम -दीपों से मेरा जीवन दीप्तिमान हो गया...सैंकड़ों फुलझड़ियाँ मन के आँगन को रौशन कर गयीं... पलकों पर हर्ष के अनेकों जुगनू चमकने लगे।
प्रीति चौधरी "मनोरमा"
जनपद बुलन्दशहर
उत्तरप्रदेश
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