देखी सुनी कान की अदालत में,लीवर ने गुहार लगाई...माई लॉर्ड मुझे तलाक चाहिए।जज कान* ने पूछा, क्या है मुकदमा और किसके खिलाफ, आवाज़ बताओ।आवाज़" ने लंबी सी एक फाइल निकाली, और जज के सामने रख कर कहा साहब मुकदमा जीभ रानी के खिलाफ है।जज कान" ने कहा,* जीभ रानी* को बुलाया जाए, "जीभ रानी" हाजिर हो ,और - आवाज़- ने उसे आवाज़ लगाई। "जीभ रानी" लहराती बलखाती थोड़े नखरे दिखाती हुई #अदालत में आई। आँख वकील" ने "जीभ रानी" से कहा, आप पर# लीवर# ने मुकदमा किया है, आप उसे बहुत परेशान करती हो। जीभ* ने लहराते हुए कहा मैं ना ना ना ना मैं बिचारी 32 दाँतो के बीच रहने वाली आपको क्या लगता है।
जज साहब मैं परेशान करूँगी वह भी "लीवर" को वह मेरा अडोशी है ना पड़ोसी है, मैं तो उसे दूर -दूर तक नहीं पहचानती।
लो कर लो बात, मैं जब जानती ही नहीं तो मैं उसे परेशान कैसे करूँगी भला।अब आप ही बताओ "दाँत भाई .. क्या मैंने इसे परेशान किया में तो आपके पास ही रहती हूँ है न -जीभ ने इतराते हुए कहा । आ आ ए विचारे "दाँत" की धिघी बंध गई, तभी दाँत ने कुछ कहना चाहा, उसे टॉन्सिल ने इशारे से चुप रहने के लिए कहा।और तभी झूमता हुआ शराबी मुख ने शोर मचाया।
ऑर्डर ऑर्डर ऑर्डर .. कान जज ने हथोड़ा पटकते हुए सब को चुप रहने के लिए कहा। और शराबी मुख ने होठों पर उँगली रखते हुए शी शी शी शी.... की आवाज निकालते हुए कहा चुप रहो।नहीं तो जज साहब हथोड़ा सर पर पटक देंगे। और अपना बचाव करते हुए "सर" ने कहा क्यों मेरे ऊपर क्यों एक छोटे बच्चे की तरह रोने लगा सर।
कान जज* फिर चिल्लाया ऑर्डर ऑर्डर!उसी समय किडनी उछल कूदती आई।और उसने मुकदमा दर्ज कराया लीवर के खिलाफ।लीवर ने कहा मेरे खिलाफ क्यों* किडनी ने कहा तुम कच्चा माल सप्लाई करते हो मुझे क्या मूर्ख समझा है तुमने* और लीवर ने कहा जो "जीभ रानी" मुझे देती है वही तो मैं भेजता हूँ।जीभ ने कहा माई लॉर्ड मैं कुछ नहीं करती जो भी करता है यह "नाक" करती है सब कुछ।यह मुझे खुशबू देती है और मैं बेचैन हो जाती हूँ।तब "नाक" ने कहा" माय बाप" मेरा कोई कसूर नहीं है यह दिमाग जो है यही सारा खेल रचता है।
"दिमाग" ने कहा में कुछ समझा नहीं मैं कैसे सब। "हाथ" ने कहा सारा खेल तुम्हारा ही रचा हुआ है।तुमने सारी दुनियाँ को बस में कर रखा है। तुम कहो तो हम खाएं तुम कहो तो हम पिए तुम कहो तो हम चले और तुम्हारे कहने पर हम किसी का मर्डर भी कर देते हैं सब तो तुम कर आते हो। लहराते हुए" हाथ" ने कहा।तुम्हारे बिना तो इंसान बिल्कुल पंगु है। और तुम कहते हो मैंने क्या किया।तभी लंगड़ाता हुआ "पाव" आया और उसने दिमाग के खिलाफ मुकदमा दायर किया।तुम्हारे करने से हम धर्म ईमान सब बेच देते हैं। यहाँ तक कि भगवान की भी पूजा तुम्हारे कहने से की जाती है। तब" दिल " ने, नैनो" के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। माय बाप मैं एक तरफ शांति से रहना चाहता हूँ और यह" नयन" मुझे शांति से रहने नहीं देते।जब देखो उसको देखते हैं और मुझे धड़काते रहते हैं।मैं तो इन धड़कनों से तंग आ गया, या तो इन "नैनो "को फांसी दो नहीं तो मैं जहर खाता हूँ।ऑर्डर ऑर्डर ऑर्डर और* कान जज* ने जोर से हथोड़ा पीटते हुए।अपने बाल नोच डालें । तभी माथा जोर से चिल्लाया मुझे क्यों नोच रहे हो। और जोर जोर से रोने लगा दूहाई हो दुहाई हो।सब एक दूसरे के देखते हुए किसी ने टेबल उठा कर फेंका रहे थे कोई कुर्सी चला रहा था।और जीभ रानी ने तो दाँतो से कह कर पूरी फाइल पड़वा डाली।
पूरी अदालत को युद्ध का अखाड़ा बना दिया सब ने मिलकर।सब एक दूसरो को मार रहे थे।और "जज कान" अदालत छोड़कर भाग खड़ा हुआ। तुम सब की ऐसी की तैसी देख लूँगा सबको एक-एक करके और अपने ही कान खींचते हुए पागलों की तरह चिल्लाने लगा।कहाँ तो "जीभ रानी "के खिलाफ मुकदमा था।* और कहाँ सब एक दूसरे के खिलाफ युद्ध करने लगे।सबसे समझदार हड्डी और त्वचा उसने सबको समझाया देखो समझदारी से काम लो सब एक दूसरौं के गले लगाओ उसी में मैं सब की भलाई है और छोड़ो या तलाक -बलाक तभी यह शरीर बचा रहेगा नहीं तो इस शरीर के बिना तुम्हारा अस्तित्व ही क्या है।और सब ने हड्डी और त्वचा की बात मानकर मुकदमा वापस कर लिया।और सभी प्रेम से रहने लगे एक जगह इकट्ठा होकर।
रेखा शर्मा की कलम से
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