ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग
अरे बहू देखो तो किसका फोन है !आई मांजी ओ मांजी मेरी सहेली लता का फोन है। हेलो राधे राधे संध्या! हाँ हाँ राधे राधे बोलो लता क्या हाल-चाल है ।अरे क्या बताऊँ मेरी सास सठिया गई है।बुढ़िया मरती भी नहीं की चैन मिले, सुबह से लेकर शाम तक काम -काम- काम थोड़ी देर बैठने नहीं देती।करते करते थक गई मैं! क्यों क्या हुआ ,अरे उनका तो एक ही रोना चाय बना दो चाय बना दो मुँह बनाते हुए। सुबह से 2 बार तो बना चुकी अब शाम होने को आई थोड़ी देर बैठूँ भी नहीं क्या!
कभी दवाई खिलाओ कभी खाना खिलाओ बस यही चलते रहता मेरे ज़िंदगी में!
ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग लता लगता है, उमा का भी कॉल आ रहा है! हाँ ले लो न कांफ्रेस में! हाँ उमा राधे राधे! हाँ हाँ संध्या तुमको भी राधे राधे! लता भी फोन पर ही है ओहो! हाय लता !हाय उमा कैसी हो मैं ठीक हूँ !तुम कैसी हो ,मैं भी ठीक ही हूँ, ऐसे क्यों बोल रही हो! क्या करूँ इस बुड्ढे बुढ़िया ने तो नाक में दम कर के छोड़ दिया, ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग संध्या ने फोन देखते हुए अरे रमोला का भी फोन आ रहा है! फोन उठा लेती है! हेलो राधे राधे! राधे राधे संध्या !कहो कैसी हो रमोला आई एम फाइन हाउ आर यू में भी बहुत अच्छी हूँ!
रमोला फोन पर लता और उमा भी है हाय उमा! उमा ने कहा रमोला से राधे राधे रमोला हाय लता कैसी हो! राधे राधे रमोला मैं ठीक नहीं हूँ क्या हुआ रे अरे वही रोज का रोना बुड्ढा बुड्ढी परेशान करके छोड़ रखे हैं! ओहो तुम अपने हस्बैंड की बोलती क्यों नहीं! अरे मेरी सुने तब ना अपने माँ-बाप के भक्त बने रहते हैं, मेरा बस चले तो इनका मुँह भी ना देखूँ !मैं तो सालों से सहती चली आ रही हूँ! कितने साल हुए तुम्हारी शादी को 4 साल हो गए चार हाथ को नचाते हुए बोली इतने में नाक में दम कर रखा है! एक एक मिनट पर इन्हें चाय चाहिए सुबह से 2 बार बना चुकी हूँ! सुबह का नाश्ता बनाओ खाना बनाओ चाय बनाओ बच्चे के पीछे भागो! पति को टिफिन दो!
मैं तो करते-करते मर जाती हूँ! यह सब तो हम भी करते हैं सारा काम! तुम्हारे यहाँ तो आया भी है! अरे तुम लोग नहीं समझोगे मुँह बनाते हुए चलो ठीक है मैं रखती हूँ! और फोन कट हो जाता है! अरे बाबा रे कितना पकाती है, जब देखो रोना रोती रहती है! है ना संध्या! हूँ संध्या सिर्फ हूँ कहती है, अरे ओ उमा कितना पकाती है ये दिमाग खराब कर दिया जब देखो सास का रोना ससुर का रोना बिचारे इसके सास ससुर कितनी सीधे हैं! इसकी सास तो बेटा -बेटा करती रहती है सारे दिन!एक मेरे सास ससुर है! रोज तो घूमने चाहिए! खाने पीने में भी उतना ही नखरे है! सारा दिन भर में भागती रहती हूँ! मेरे तो दो दो बच्चे हैं! पर रमोला तुम्हारा बेटा तो हॉस्टल में रहता है ना उमा ने पूछा! हाँ यार पर अभी आया हुआ है छुट्टियों में! हॉस्टल में रहकर बिगड़ गया है!
मोबाइल तो छोड़ता नहीं सारा दिन भर गेम गेम बस गेम!पर तुम्हारे यहाँ तो लैपटॉप भी है ना! हाँ बाल झटकते हुए बोली !अमेरिका गए थे तब लेकर आए थे वहा से बहुत महंगा है !नखरे के साथ कहती है रमोला! और संध्या तुम कुछ नहीं बोल रही हो मेरे पास तो कुछ कहने के लिए है ही नहीं! मैं तो बस तुम लोगों की सुन रही हूँ! अरे तुम्हारी भी तो सास है! वह तुम्हें परेशान नहीं करती! नहीं मुझे तो उनसे कोई परेशानी नहीं उल्टे माजी मेरा बहुत ध्यान रखती हैं! एक माँ की तरह और तुम्हारे पति! मेरे पति भी बहुत अच्छे हैं! तुम्हारे बच्चे! बच्चों का क्या है बच्चे इस उमर में शैतानियाँ नहीं करेंगे तो कब करेंगे! तुम्हारे यहाँ आया लगी है क्या! नहीं नहीं मैं सारा काम अपने हाथ से ही करती हूँ, भाई मुझे उन लोग का काम पसंद नहीं आते संध्या ने कहा ! कहीं जाओ तो ध्यान लगा रहता है ! कब आया आएगी कहीं लौट के चली गई तो ! वैसे में मजा भी नहीं आता तुम्हारी तो सास है न उनको तो छोड़कर ही जाती होगी न! रमोला ने कहा ! नहीं- नहीं मैं उनको साथ मैं लेकर जाती हूँ! तुम्हें कोई परेशानी नहीं होती! हम तो अपनी सास ससुर को छोड़कर ही जाते हैं!
कहाँ-कहाँ लेकर फिरे सप्ताह में 1 दिन तो मिलता है, इनके साथ घूमने का! उसमें भी बुड्ढा बुड्ढी को घुसा ले यह कहा की बात है ! अच्छा बाय कह कर रमोला ने फोन काट दिया ! संध्या हाँ। मैं सोच रही हूँ !मैं सादी ही ना करूँ उमा ने कहा! क्यों ऐसा क्यों सोच रही हो! मैं तो इनकी तरह झंझट में नहीं पड़ना चाहती! अरे उमा क्या तुम अपने माँ पिताजी का ध्यान नहीं रखती! अरे कैसी बात करती हो संध्या! माँ पिताजी का ध्यान मैं नहीं रखूँगी तो फिर क्या करूँगी! मेरे मम्मी पापा तो मुझे अपनी जान से ज्यादा प्यारे हैं! उसी तरह सास ससुर से भी प्यार कर देखो! घर स्वर्ग हो जाएगा स्वर्ग! तुम कितनी अच्छी सोच रखती हो संध्या! एक वह दोनों है !हरदम सास ससुर की बुराई करती रहती है! छोड़ो उमा उन्हें अरे सास ससुर के भी तो कुछ अरमान होंगे अपनी बहू से! उन्हें तो बस प्यार और देखभाल की जरूरत होती है! क्योंकि इस उम्र के पड़ाव में उनका शरीर थक जाता है! क्या हुआ जो हम उनका काम कर दे! अपने माँ पिताजी का भी तो करते हैं वह भी कितनी प्रेम से! वाह भाई संध्या वाह मान गए तुम्हें और उमा ताली बजाने लगती है।
रेखा शर्मा मुजफ्फरपुर बिहार
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