भूख, गरीबी, लाचारी का,
मखौल न बनना चाहिये,
हर हाल में अन्नदाता का,
सम्मान होना चाहिये।१।
हरियाली फसलों में वो,
स्वेद अपना बहाता है,
उन फसलों का ही वो ,
दाना एक ना पाता है।२।
जिस समाज को देता निवाले,
वो ही कर्ज में डुबोता है।
किसान का हक सदा ही,
किसान को मिलना चाहिये।३
हर हाल में अन्नदाता का ,
सम्मान होना चाहिये।
कर्ज़ ले लेकर जीवन को,
बोझ सा वो ढोता है,
कर्जे से ही बुवाई के,
बीज खेत में लाता है।४।
पाई पाई जोडे हरदम,
फिर भी खाली रहता है।
उम्मीद बो बो कर वो,
लाचारी काट लाता है।५।
उसको भी खुश होने का,
अधिकार मिलना चाहिये.
*हर हाल में अन्नदाता का *
सम्मान होना चाहिये।६।
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सुखमिला अग्रवाल
मुम्बई(महाराष्ट्र)
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