कातिक महीना-पूष्‍पा


कातिक महीना एकादशी, जागय जम्मो देंवता।
तुलसी माई  बिहा रचाये,  पठोये देव पुर नेवता।
दमदम - दमदम बाजा बाजय, उड़े बिहा के सुहार
बड़ सुग्घर लागय दीदी , जेठउनी के तिहार ।


लिपय पोतय घर द्वार अउ  , जगमग तुलसी चँवरा।
कुसयार के मड़ुआ गाड़े , छाये पाना  अँवरा।
सेंदुर टीका लाल चुरी मा, बिंदा करे हे सिंगार ।
बड़ सुग्घर लागय दीदी , जेठवनी के तिहार ।
बड़ सुग्घर.....


छीर सागर ले देंवता उठे , सालिग्राम बने दूल्हा।
किसम-किसम पकवान बने, हाँसत हावय चूल्हा।
करशा ,पर्रा , हंडा , हंवुला,  पढ़य टिकावन  सुमार। 
बड़ सुग्घर लागय दीदी , जेठउनी  के तिहार ।
बड़ सुग्घर ..…


पुष्पा गजपाल पीहू
महासमुन्द (छ.ग.)



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