युगों-युगों की यात्रा-अर्चना

6 दिसम्‍बर शौर्य दिवस पर विशेष आयोजन

युगों-युगों की यात्रा,
पग -पग पर कठिनाई,
त्रेता युग का चक्रवर्ती ,
सरयू में था समाहित,
सृष्टि के रचयिता तो कण-कण में ,
अंर्तरमन  में समाया, 
फिर जाने क्यों कलयुग के
आतंकी अंधियारों में घिर आया?
हड़पने से भय नहीं, झपटने से डर नहीं।
धीरे-धीरे
सत्य पर  से असत्यता का आवरण हटा,
उदय हुआ ' सूर्यवंशी ' का सूर्य 
पावन किरणों ने सरयु तट पर,
अयोध्या की धरा पर
  उज्जवल रोशनी बिछा दी, 
अंतर्यामी 'शरण्यत्राणतत्पर 'ने अपना प्राकट्य़  दिखाया।
उजड़ भू-भाग को फिर घंटे- घड़ियाल से गुंजाया,
जात पात का भेद मिटाएं, भेदभाव व बेर मिटाकर, 
शंखनाद से एक मानव सुर निकल आया।
संपूर्ण विश्व को आलोकित कर
अयोध्या में रामराज्य है फिर आया,
हर घर -आंगन रोशन हो उठा,
अमित दीप से दीप जल उठे,
'राम- लल्ला 'की जन्म भूमि पर,
मंदिरों के शिखर पर विष्णु ध्वज फिर लहराया।

अर्चना उपाध्याय त्रिवेदी
इंदौर।(म.प्र.)



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