वर्ष 3 अंक 1 जनवरी से मार्च 2021
नया वर्ष नव रूप में , खड़े हुये हैं द्वार।
सारा जग स्वागत करें , होकर के तैयार।।
नवल भोर नव रंग से , भरे जगत उजियार।
विध्न हरण मंगल करें, जग के मंगल कार।।
नया वर्ष खुशियाँ भरे , गाये मंगल गीत।
राग द्वेष छोड़े सभी , गले मिलो बन मीत।।
बाहँ पसारे ताकता , पावन नूतन वर्ष।
झूमें सारी सृष्टि भी , लेकर नव उत्कर्ष।।
नया होश नव जोश में, बाँट खुशी आपार।
नया वर्ष को संग ले , कर लें नैया पार।।
स्वीकारे नववर्ष को , जोड़ें दोनो हाथ।
कर्म मार्ग निर्विध्न हो, नाये हैं हम माथ।।
नवल किरण नव ले छटा, सोनिल लगे प्रभात।
बीते कल की याद अब , करे नहीं आघात।।
बढ़ते आगे भूल कर , बीत बरस के पीर।
राखे मन उलझन नहीं, धरो सदा ही धीर।।
सतरंगी शुभ रूप में , आया है नववर्ष ।
खिले सुमन नव भोर में, हो पावन उत्कर्ष।।
पुष्पा ग़जपाल पीहू
महासमुंद (छ. ग.)
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