कंचन की बिंदिया

वर्ष-3 अंक -1 जनवरी 2021 से मार्च 2021

 
बिंदिया सजी है माथे पर
पांव में चमके पायल
कितनी प्यारी लागे है
सर पर धानी चुनर
करके सोलह सिंगार
आई मारे देश
बंधन नहीं है, यह औरत का
सजना सवरना हक है उसका
रूप निखारे यह श्रृंगार सारे
औरत का अभिमान है
जोसेफ सोलह सिंगार

कंचन जयसवाल
नागपुर महाराष्ट्र

 


 

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