वर्ष 3 अंक 1 जनवरी से मार्च 2021
माघ मास के शुक्ल पक्ष की तिथि पंचमी आई है
वातावरण रमणीय हो गया बसंत पंचमी आई है
लहराई है खेतों में गेहूं जौ धान की हरी भरी बाली
कामदेव ने जैसे रच दी हो प्रेम भरी ये दुनिया निराली
सतरंगी रंगो से जहां अनुपम छटा छा जाती है
रंग बिरंगी तितलियां सबके मन को लुभा जाती है
पीली सरसों की बाली ओढ़े धरती दुल्हन बन जाती है
आज के दिन माता सरस्वती घर घर में पुजी जाती हैं
कामदेव है प्रेम देवता बसंत के वे मित्र कहलाते
बसंतागमन में प्रकृति का सौन्दर्य सदा ये ही बढ़ाते
मात सरस्वती विद्या दायिनी वीणा पानी समभाव रखे
अपने सारे बच्चो पर स्नेहाशीष सदा ही बनाए रहें
आज के दिन ही वागेशवरी को ब्रम्हा जी ने जीवन दान दिया
चतुर्भुजी मां वीणा पाणी ने फिर हम सबका कल्याण किया
मात शारदे कृपा करो दुनिया से गंदगी साफ करो
जो नहीं यहां रहने के लायक कृपया उनको दफा करो
जाने बुद्धि कैसी हो गयी कुछ लोगों की संसार में
मार-काट और खून खराबा करते रहते संसार में
कुछ तो पूरे शैतान बन गये मासूमों को नोचते फिर रहे
बच्ची युवा हो या हो वृद्धा सबको इनसे है खतरा
इन्सान से ये जानवर होते जा रहे
बसंत तो रितुओ का राजा है मनमोहक और होता मतवाला
चारो ओर हरियाली खुशहाली मौसम हो जाता और निराला
शुभा शुक्ला निशा
रायपुर छत्तीसगढ़
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