वह तेजी से अपने कमरे में आया और आनन-फानन में बेग में जरूरी सामान कपड़े रख कर स्टेशन की ओर चल पड़ा किंतु जाना कहां है ? वह स्वयं भी नहीं जानता था। स्टेशन की वेटिंग बेंच पर आकर बहुत ही दुखी मन से वहां पर आने जाने वाली रेलगाड़ियां व मुसाफिरों को देखकर सोचता रहा कि इस शहर को छोड़कर ही जाना ठीक है । वह कुछ निर्णय नहीं ले पा रहा था क्योंकि पिछले 7 साल पहले गांव से एक सपना लेकर इस शहर में आया था यह सोच कर कि अपने मध्यम वर्गीय परिवार के लिए कुछ कमा कर अपनी जिम्मेदारी को पूर्ण करने की कोशिश करेगा और वह कुछ हद तक इस कोशिश में सफल भी हो चुका था। हर महीने तनख्वाह में से बचत कर के परिवार को पहुंचाता भी था ।बहन की शादी करनी थी, छोटे भाई की पढ़ाई तथा अन्य घर खर्च। यह वही कंपनी थी ,जहां पर बहुत कोशिश करने के बाद नौकरी लग गई थी। सब कुछ बहुत ही अच्छा चल रहा था। उसी कंपनी में उसकी एक सहकर्मी 'काजल'भी उसके साथ कार्य कर रही थी, वह रोहित का बहुत ध्यान रखती थी। वह एक प्रतिष्ठित परिवार की लड़की थी हालांकि उसे 'फाइनेंशली 'नौकरी की आवश्यकता तो नहीं थी लेकिन फिर भी एमबीए किया था, इस कारण वह अपनी एजुकेशन का उपयोग करना चाहती थी, रोहित की ईमानदारी व कार्य के प्रति लगन, कंपनी की प्रति कर्मठता किसी भी प्रकार के व्यसन से मुक्त एक सादे जीवन से अत्यंत ही प्रभावित थी। कई बार कुछ टेक्निकल प्रॉब्लम आने के कारण रोहित को उससे हेल्प भी लेनी होती थी और वह खुशी-खुशी उसकी मदद करने को तत्पर रहती थी। ' काजल' के पिता उसकी शादी के लिए सुयोग्य वर की तलाश में थे। अच्छे उद्योगपति एवं धनाढ्य परिवार से रिश्ते आने शुरू हो गए, लड़के अच्छे बिजनेसमैन तथा पढ़े-लिखे परिवार से थे।जहां किसी भी तरह की कोई कमी का प्रश्न ही नहीं उठता, एक पिता भी अपनी बेटी को ऐसे ही उच्च परिवार में ब्याहना पसंद करता है जहां उसकी बेटी बहुत सुखी रहें। इधर 'काजल'मन ही मन रोहित को पसंद करती थी और एक बार तो उसने रोहित से अपने मन की बात को कहा भी, लेकिन रोहित संबंध में अपनी रजामंदी नहीं दे पा रहा था क्योंकि उसके तथा काजल के परिवार में, उसके स्टैंडर्ड में, स्टेटस में जमीन- आसमान का अंतर है। ऐसे में वो किसी प्रतिष्ठित परिवार की लड़की को तथा उसके पिता के सम्मान व प्रतिष्ठा को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता था। वह भी काजल को पसंद करता था लेकिन शादी के लिए कभी सोच नहीं पा रहा था। उसने एक बार काजल से यह भी कहा था,"काजल तुम इतनी पढ़ी लिखी हो ,समझदार हो ,तुम्हारे लिए तो अच्छे लड़कों की लाइन लग जाएगी"।
उसने हंसकर जवाब दिया,"रोहित तुम ठीक कहते हो, लेकिन पैसा ही सब कुछ नहीं होता।"
मुझे ऐसे जीवनसाथी की तलाश है जो दुनिया के तामझाम व दिखावे से दूर रहे, सुख तो एक कोने में भी मिल जाता है अगर साथ अच्छा हो तो।"क्या तुम मेरे जीवन साथी बन सकते हो? काजल ने हंसते हुए कहा।
रोहित ने कहा,"क्यों मजाक कर रही हो काजल?"मैं कहा.... तुम कहां.....?
कुछ दिन हम अपने कार्य में व्यस्त रहे हैं तभी एक दिन शाम को काजल का फोन आया कि आज मेरे पापा ने तुम्हें अपने घर पर बुलाया है, रोहित ने पूछा कि क्या बात है?
"तुम घर आओगे तब बताऊंगी" काजल ने जवाब दिया। रोहित तो जैसे असमंजस में पड़ गया उसे लग ही रहा था, काजल मुझे शादी की बात करने के लिए ही बुला रही है, लेकिन क्या मैं उसके पिता से सामना कर पाऊंगा? क्योंकि मेरे पास तो वह सब कुछ है ही नहीं जिससे मैं इतने धनाढ्य परिवार की लड़की को खुश रह सकूं । फिर भी शाम को वह हिम्मत करके उनके घर गया। उसके पिता ने बहुत ही सम्मान पूर्वक रोहित से उसके परिवार के बारे में चर्चा की, काजल भी बहुत खुश थी, लेकिन रोहित को लगने लगा कि कहीं वह कुछ गलत कर रहा है ,इतना आलीशान बंगला, गाड़ी ,नौकर -चाकर। वह घर लौट गया, नहीं-नहीं मैं सब कुछ नहीं कर पाऊंगा...... मैं धोखा नहीं दे सकता..... किसी के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकता.... मुझे शहर छोड़कर जाना ही होगा... मैं कहीं और नौकरी देख लूंगा.... तभी ट्रेन की सीटी बजने लगी , लोग ट्रेन में चढ़ने की जल्दबाजी करने लगे, वह सामान उठाकर कोच में जाकर बैठ गया , इंतजार करने लगा कि जल्दी से गाड़ी चले और जल्दी से इस शहर से दूर चले जाएं। तभी उसकी कंपनी के कुछ साथी उसे ढूंढते हुए प्लेट फॉर्म पर नजर आए, उसने छुपने की कोशिश की लेकिन वे कोच में चढ़ गए, और उसे गाड़ी से नीचे उतारा।
सामने काजल के पिता खड़े थे, उन्होंने रोहित को कहा ,बेटे, मैं भी शुरू में तुम्हारी ही तरह था यह तो मेहनत से आज मैं एक अच्छा बिजनेसमैन बन गया हूं। तुम जो सोच रहे हो ऐसा कुछ भी नहीं होगा मुझे तुम्हारे जैसे ही दामाद की तलाश थी, मैं भी तुम्हारे साथ तुम्हारे पिता व परिवार से मिलने तुम्हारे साथ चलूंगा।यह कहकर उसे गले लगाया। उधर ट्रेन ने सीटी दी...... व धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी।
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