कहानी पूरी करो-शिवा सिंहल

वर्ष 3 अंक 1 जनवरी से मार्च 2021

 4,, घर बट गया, धन देना जमीन सब बट गया, मोहल्ले में किसी को कानों कान पता ना चला,अब बारी थी अम्मा बाबूजी कि वह किसके हिस्से में रहेंगे, पूरा मोहल्ला जान गया सोमारू के घर बटवारा हो रहा है, रिश्तेदार आ गए, आज 3 दिन हो गए उसी एक कमरे में बंद अम्मा बाबूजी,,,, से आगे की कहानी।

 
पाठकों के लिए समीक्षा का अवसर- क्‍या नीचे लिखी कहानी ऐसी प्रतित होती है कि वह अम्‍मा बाबूजी.....से आगे लिखी गई है, अगर लगता है तो रेटिंग दें।
        
            सोमरू के तीन बेटे और एक लड़की थी, दोनों बड़े बेटे के पास अच्छा पैसा था, छोटा अमन कम पढ़ा हुआ था इसलिए उसके पास पैसा कम था, सरिता दोनों बड़े भाइयों को ज्यादा चाहती थी छोटे वाले के पास कुछ नहीं था इसलिए वह उससे प्रेम कम करती थी,सारे घर के बंटवारे होने के बाद बड़े वाले बोले मां बाबूजी को कौन रखेगा  ? तब दूसरा बोला मेरे तो भैया मकान छोटा पड़ता है, और हम दोनों नौकरी करते हैं तो हम तो नहीं रख सकते, बड़े वाले ने भी बहाना बना लिया।
        सोमारु को अपने बुढ़ापे की चिंता होने लगी थी, अब हम दोनों का क्या होगा, यही सोचने लगे तब, छोटे वाले ने हाथ जोड़कर कहां मां बाबूजी मेरे पास रहेंगे,उसकी यह बात सुनकर मां बाबू भी शर्मिंदा हो गए, क्योंकि उन्होंने भी कभी अमन की तरफ ध्यान नहीं दिया,उसे नासमझ नकारा ही समझा,आज वही उनके बुढ़ापे की बैसाखी बना, ये देख पिता की आंखों से आंसू गिर पड़े,दोनों ने अमन को अपने गले लगा लियाअमन का छोटा सा टूटा फूटा घर था ,उसमें खटिया डालकर वह मां बाबूजी की सेवा करता था।
        अमन किराने की दुकान चलाता था, एक बार जब सरिता अपने भाइयों के आई तब बड़ी भाभी ने कहा सारे दिन यही पड़ी सोफा तोड़ते हैं क्यों नहीं अपने मां-बाप के पास जाती यहां कौन सा धन पड़ा है,तब उसे समझ आया आज मेरे बच्चे में भारी पड़ रही हूं और वह छोटे भाई के घर आकर उसके पैरों में गिर कर रो पड़ी भैया मुझे माफ कर दो मैं आपको समझ ना सकी  आज जान पाई हूं भैया जिसके पास मां बाप है वही सबसे बड़ा धनवान है, वही अपनों का भगवान है, पैसों से प्यार वो अपनापन खरीदा नहीं जाता, मां बाप भी अमन के पास बहुत खुश थे ,धीरे-धीरे अमन के पास गाड़ी बंगला सब हो गया, जिन भाइयों के पास सब था वह धीरे-धीरे खत्म होने लगा।
        अमन ने कहा बहन मैंने तो तब भी तुझे पुकारा था लेकिन तूने ही पलट कर नहीं देखा मुझे, देख मेरी कलाई कितने दिनों से सुनी पड़ी है , ले बहन राखी बांध दे यह तेरी राखी अभी संभाल कर रखी है , बहन भाई के गले मिल रो पड़ीदोनों भाई भी यह नजारा देख रहे थे,बड़ा भाई सतीश रो पड़ा और बोल पड़ा अमन तू तो हम सबसे बड़ा हो गया रे, तूने आज हमें अपने पराए ,पैसे का मोल समझा दिया, फिर वे दोनों भी मां बाबूजी के पैरों में गिर कर माफी मांगने लगे ,  आज फिर से सोमारू का बिखरा परिवार एक हो गया ,वो अपने पूरे परिवार के साथ रहने लगा ,  ये सब सोमारू के अच्छे पुण्य का फल है, जो अपने परिवार के सात सुख चैन से जीवन व्यतीत करने लगा।
 

 
 

 

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