वर्ष 3 अंक 1 जनवरी से मार्च 2021
मैं बोकारो स्टील प्लांट में कार्यरत था सन 2005 की बात बता रहे हैं। थक-हार कर प्लांट से 10.15 रात मे स्कूटर से घर वापस आ रहे थे। घर आने में करीब आधे घंटे की समय लगता था। जाड़े कि कड़ाके की ठंड में करीब आधे घंटे ज्यादा स्कूटर चला कर घर पहुंचे यानि रात के करीब 11:00 बज चुका था। गैरेज के पास जब पहुंचे तब देखें की ,एक कुत्ता के साथ करीब 10 साल का बच्चा अधफटी चादर ओढ़ कर छोटी-छोटी लकड़ी चुनकर जला कर आग ताप रहा था। उसे देखकर दया आई और उसे अपने गैरेज में जगह बना कर सोने को कह दिए।
जब
मैं घर के अंदर पहुंचे और अपनी पत्नी को इसकी जानकारी दी की एक बच्चा
कुत्ता को लेकर गैरेज के पास बैठा हुआ है, उसे हम गैरेज में सोने के लिए
जगह दिए मेरी पत्नी काफी दयालु प्रवृत्ति की थी ,बोली ओड़ने के लिए कुछ दे
दो हम लोग के पास पुराना कंबल है उसे जाकर दे दो,
बच्चा है आखिर किसी मां बाप का बेटा होगा। शायद भगवान हम लोग से परीक्षा
ले रहे हो, जाओ जल्दी से दे दो। जब मैं उसे कंबल दिए दोनों हाथ से पैर छूकर
प्रणाम किया। सुबह होने के बाद भी बैठा रहा जब तक हम लोग उठे नहीं कहीं
गया नहीं। बीच में कुत्ता आकर देख जाता था ।क्या हम लोग उठे हैं?
एक रात में ही पता चल गया लड़का और कुत्ता वफादार है। इस तरह से हर शाम आ जाया करता था। मेरी पत्नी को विश्वास हो गया यह लड़का
इमानदार है जरूत का मारा हुआ है उसके बातचीत करने से पता चला उसके मां
बाप नहीं है दिनभर रास्ता में लोग से मांग कर या छोटा मोटा काम करके अपना
पेट और कुत्ता का पेट भर रहा है। धीरे धीरे वह लड़का साफ-सुथरा रहने लगा
तथा हमारे घर का छोटा मोटा काम करने लगा। हम लोग भी उसे अपने बच्चे की तरह
देखभाल करने लगे ।वह लड़का को माता-पिता मिल गया और हमें एक और लड़का के
तौर पर परिवार में शामिल कर लिए।
एक
दिन की बात है उससे जानकारी लिए क्या तुम पढ़ना चाहते हो अपना उत्तर *हां*
में दीया तो हम लोग भी उसे उत्साह बढ़ाते रहें । अपने बच्चों के किताब
देकर पढ़ाई शुरू करा दिए। पढ़ने में होशियार होने के कारण महत्वाकांक्षी भी था। महत्वकांक्षी होने के कारण आज झारखंड पुलिस विभाग में सिपाही की नौकरी भी पा लिया है।
अब जब कभी उसको छुट्टी मिलता है जरूर आकर आशीर्वाद लेता है या हम लोग जब भी बुलाते हैं जरूर आकर मिलता है।
इस
वाक्य से यही अनुभव हुआ है *मानवता का काम नेकी कर फल ईश्वर देगा* ।
मेरा परिवार भरा पूरा है ईश्वर की कृपा से मेरे दोनों बच्चे अच्छे पोजीशन
में आ गए हैं। यही है ईश्वर की माया।इस करोना कॉल में पूरे परिवार बढ़ चढ़कर हिस्सा लिए कोई भी जरूरतमंद भूखा नहीं सोया हम लोग का यही सपना था।
विजयेन्द्र मोहन।
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