घर बट गया-विजयेन्द्र मोहन

वर्ष 3 अंक 1 जनवरी से मार्च 2021

 

सोमरू के घर बंटवारा होने के लिए सभी भाई-बहन रिश्तेदार धीरे-धीरे घर आ गए। घर बहुत बड़ा था साथ में खुला जमीन भी था।आपस में सौहार्द पूर्ण वातावरण में घर बंटवारे का नियम बनाने के सुझाव पारित किया गया। इसके लिए अधिवक्ता एवं अभियंता अमीन के साथ बुलाया गया। दोनों के सामने घर-जमीन बंटवारे के बारे में बताया गया और यह कहां गया आप दोनों के सलाह से,आगे की कार्रवाई की जाएगी। दो-तीन दिन में अभियंता अमीन ने मिलकर घर का, बाजार मूल्य एवं जमीन का, बाजार मूल्य की जानकारी दिए। उसके बाद अधिवक्ता बंटवारे के कानून के बारे में जानकारी दिए। सभी काम बहुत सौहार्दपूर्ण में हुआ।
जिस हिस्सेदार को तुरंत पैसे की आवश्यकता थी वह खाली जगह का एक हिस्सा को पसंद किए और जो हिस्सेदार को घर से लगाव था घर मे अपने अपने हिस्से में पसंद कर लिए। अब मां बाबूजी के बारे में सोचा गया किनके के हिस्से में जाएंगे। आपस में बातचीत करने में सब लोग कनी कटा रहे थे, अंत में निर्णय हुआ की मां बाबूजी का निर्णय सर आंखों पर रखा जाएगा।दूसरे दिन सभी हिस्सेदार मां बाबूजी के कमरे में जो  तीन दिन से कमरे में बंद थे वहां सभी लोग पहुंचे और यह बताएं कि हम लोग सौहार्द पूर्ण रूप से आपस में बटवारा कर लिए हैं और आप लोग अपना निर्णय दे किसके  पास आप लोग रहेंगे।
पहले मां बाबूजी ने सबको शुभ शुभ आशीर्वाद दिए कि तुम लोग आगे खूब फूलो फलो। सभी काम शांतिपूर्ण से हो गया है। अब मेरा निर्णय सुनना चाहते हो मेरी इच्छा है इसे पंचायत में इस बात को रखा जाए क्योंकि पंच परमेश्वर होते हैं इसके लिए एक समय निश्चित किया जाए घर के खाली मैदान में जश्न के माहौल बनाकर मोहल्ले के सभी लोग को निमंत्रण दिया जाए। पंच बैठकर दोनों पक्ष के लोग से सुनने के बाद उनका निर्णय सर्वोपरि ही रहेगा। इस बात पर आप लोग सहमत हैं तो इसकी कार्यवाही की जाए।सभी पटदारी इस पर सहमत होकर आगे कार्रवाई करने लगेमैं यहां पुत्र पुत्री की जगह पर पटदारी लिख रहा हूं इसलिए कि अब वह समकक्ष हो गए हैं।
पंच बैठा सभी हिस्सेदारी की बात सुनने के बाद जब बुजुर्ग चाचा चाची की बात यानी मां -बाबूजी की बात सुनने की इच्छा जाहिर किए। मां बाबूजी बोले हमने तय किया है सभी  हिस्सेदार यह तय कर ले कौन मेरे पास आकर रहेगा हम लोग इस घर और मोहल्ला को छोड़कर कहीं न जाएंगे मेरे पास जो लोग आएगा उन्हें कोई भी खर्च करने की आवश्यकता नहीं है और मैं समझता हूं पंचायत का भी यही निर्णय मान होगा। पंच अपना निर्णय सुनाते हुए सभी हिस्सेदार को आदेश दिए की अपना सहूलियत के हिसाब से समय निश्चित करें। बाद में सभी हिस्सेदार भी सहमत हो गए पंचनामा पर हस्ताक्षर भी कर दिए और माता पिता को अपने पुत्र पुत्री का प्यार मिलता रहा।इस लेख से यह शिक्षा मिला घर का बटवारा भी हुआ लेकिन घर टूटा नहीं प्रेम बना रहा।

विजयेन्द्र मोहन।



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