सवाल एक रोटी का था -अर्चना


वर्ष-3 अंक -1 जनवरी 2021 से मार्च 2021


सुबह के 8:00 बज चुके हैं। घर में अफरा-तफरी मच जाती है जब मधु अपने ऑफिस जाने की तैयारी करती  हैं। बच्चों का , खुद का टिफिन बनाना, परिवार का खाना तैयार करना  इत्यादि  दैनिक कार्य में व्यस्तता अत्यधिक हो जाती है। मम्मी- पापा बहुत ही एडजस्टिंग नेचर के है, कभी कोई दिक्कत नहीं आती है। उस दिन सुबह जब मधु जा रही थी, तभी मां ने कहा मधु,"बेटा आज सबका खाना तू ही बना ले, मेरी तबीयत कुछ ठीक  नहीं है ,लगता है शुगर फिर बढ़ गई है मुझे जांच भी कराने जाना होगा।

 मधु ने उत्तर दिया,"मां मुझे आज बहुत देर हो रही है मैं सिर्फ अपना टिफीन तैयार कर रही हूं,खाना नहीं बना पा रही हूं आप  इनसे (पति)कह देना क्योंकि ये तो देर से जाते हैं। ऐसा कहते ही मधु ऑफिस को निकल गई । मां ने सोचा "चलो ,आज बेटे से ही कहूंगी वो  रोटी बना देगा। थोड़ी टेढ़ी-मेढ़ी ही बना दे। मधु ऑफिस में अपनी दिनचर्या में   व्यस्त हो   गयी,तभी उसके साथीयों ने लंच पर बुलाया, सभी ने अपना -अपना टिफिन खोला, मधु ने जैसे ही टिफीन खोला  उसे याद आने लगा कि जबसे मम्मी की तबीयत खराब हुई है तब से वह रोटी नहीं बना पाती है, इसके पहले तो वो पूरा खाना ही बनाती थी , ऑफिस के साथी उनके हाथ के स्वादिष्ट भोजन की तारीफ करते नहीं थकते  थे। आज तो सवाल एक रोटी का  ही था। मां मजबूर थी, तभी तो उन्होंने मुझसे कहा था,मधु सोचने लगी  क्या मैं इतनी सेल्फिश हो गई हूं? क्या मेरा कर्तव्य नहीं बनता था कि मैं 10 मिनट लेट हो जाती लेकिन उनका पूरा काम करके घर से निकलती ।आज मेरा मन अपने आप को कचोट रहा है। घर पहुंचते ही वो मां के गले मिलकर रोने लगी और कहां मां -मुझसे गलती हो गई, मैं खाना नहीं बना पाई थी, मां ने कहा,"अरे ,पगली ,मैं भी समझती हूं कि तुझे ऑफिस के लिए देर हो रही थी अब मेरी तबीयत ठीक है, जा हाथ मुंह धोकर जल्दी आ, मैं तेरे लिए गरम- गरम रोटीया बना देती हू। मधु अनुत्तरित देखती रह गयी, मां............................

 


 

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