वर्ष 3 अंक 1 जनवरी से मार्च 2021
कविता-
इस पावन पर्व नवीन दिवस में,
तुम कुछ ऐसे कार्य करो।
असहाय गरीब लाचारों पर,
उपकार करो उपकार करो।।
है नए साल का प्रथम दिवस,
अपना जीवन तुम धन्य करो।
अपने साहस धीरज बल से,
दूजों को सदा प्रसन्न करो।।
तन मन धन को अर्पित कर,
सच्ची सेवा तुम किया करो।
जीते हैं सब अपने खातिर,
तुम परहित खातिर जिया करो।।
सच्चाई के पथ पर चलकर,
सच्चे राही की भांति सखे।
है बोल रहा मानव तेरा,
जो चलता सदैव बिना थके।।
सच्चे पथ के राही हो तुम,
संघर्षों से मत डरा करो।
संघर्ष कठोर पहाड़ों को,
मनकों के मोती किया करो।।
हो कांति तेरी सूरज जैसी,
मुस्कान सदा फूलों जैसी।
हो चाल तेरी गज के समान,
वाणी हो सदा अमृत जैसी।।
व्यापक हो तेरा दृष्टिकोण,
हों ऊँचे नभ से भी विचार।
साहस हो तेरा बिना जोड़,
मन में हो आशा की हिलोर।।
हे धीरे बीर बलवीर पुरुष,
दुनिया का तुम उद्धार करो।
पापी दुष्टों हत्यारों का,
संहार करो संहार करो।।
जो करता मानवता पर प्रहार,
उसको तुम चकनाचूर करो।
आए जिस खातिर दुनिया में,
उसको सहर्ष तुम पूर्ण करो।।
जन जन के मन मन में गूंजे,
तू ऐसा प्रेरणास्रोत बने।
पाकर तुझ जैसे कर्मवीर को,
धरती मां भी धन्य बने।।
राघवेंद्र सिंह 'रघुवंशी'
पत्योरा हमीरपुर उत्तर प्रदेश
Mob- 6387961897
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