गरीबी का मजाक-रीतु

वर्ष-3 अंक -1 जनवरी 2021 से मार्च 2021

प्रवीण के जन्मदिन पर अतिथियों के आने का तांता लगा हुआ है। सभी का स्वागत वह तहे दिल से मुस्कुराकर कर रहा है।वह आज इक्कीस साल  का हो गया है। सभी अतिथियों के आ जाने के बाद वह केक काटता है।सभी उसे उपहार देकर बधाई देते हैं।
    " जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं मेरे अज़ीज़ दोस्त।तुम यूं ही मुस्कुराते रहो। "किशन गुलाब का एक पौधा देते हुए बोला।
     " तुम यहां भी अपनी गरीबी की झलक दिखला दिए।अरे! कुछ उपहार नहीं था देने के लिए तो नहीं आते।प्रवीण का तमाशा बनाने के लिए आ गया। भीखमंगा कहीं का।" किशन के मुंह पर केक लगाते हुए सचीन बोला।उसके अन्य दोस्त हां में हां मिलाकर हंसने लगते हैं।
       प्रवीण से किशन के साथ किया गया मजाक ठीक नहीं लगा।उसकी आत्मा एक सच्चे , निस्वार्थ मित्र के लिए जाग गया। सबको डांटकर किशन को गले लगाते हुए मित्रता की कीमत बतलायी। गुलाब के पौधे को सबसे अनमोल उपहार बताया। सचिन के साथ उसके सभी दोस्तों ने किशन से माफी मांगी।

            

 रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार


    


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