वर्ष-3 अंक -1 जनवरी 2021 से मार्च 2021
चक्षु अश्क लिए मां भारती पुकारती वीर सुभाष,
पावन धरा को सिखाओ निश्चल प्रेम वासना।
मातृभूमि की कीमत अवतरित हो सिखलाओ जरा,
नष्ट कर संगीन जुर्म तिरंगा लहरा
चक्षु अश्क लिए मां भारती पुकारती वीर सुभाष,
अस्मत बचा स्त्रियों की पूर्ण करो आस।
सबक सिखाकर जालिमों को बन सिंह कर ललकार,
देशभक्ति की फहरा पताका करो करो राष्ट्र जयजयकार।
चक्षु अश्क लिए मां भारती पुकारती वीर सुभाष,
देशवासियों उर राष्ट्रभक्ति मृगतृष्णा की फैलाओ प्रकाश।
जुवां-जुवां गुनगुनाए हरपल राष्ट्र गुनगान,
हाथ-हाथ थामे रहो राष्ट्र रक्षा कमान।
चक्षु अश्क लिए मां भारती पुकारती वीर सुभाष,
पावन धरा को सिखाओ निश्चल प्रेम वास।
रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार
स्वरचित एवं अप्रकाशित
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