बच्चों के बौद्धिक विकास में अभिवाहक की भूमिका-कंचन

 वर्ष-3 अंक -1 जनवरी 2021 से मार्च 2021

 

 साप्ताहिक प्रतियोगिता

      बच्चों के बौद्धिक विकास में मां बाप की ही भूमिका सर्वप्रथम होती है इस प्रकार घड़े को कौन सा आकार प्रकार देना है यह कुम्हार के हाथ में रहता है, जरा सी नजर चूकी की घड़े का नक्शा ही बदल जाता है। उसी प्रकार बच्चों के बौद्धिक विकास में और शारीरिक विकास के लिए मां बाप ही सहायक भूमिका निभाते हैं। वैसे तो यह समय मोबाइल टीवी का है और भी न जाने कितने तकनीकी साधन भरे पड़े हैं। पहले के जमाने में इतने सारे आधुनिक साधन नहीं थे, तो मां-बाप बच्चों को बाहर खेलने भेजते थे और बाहर की ताजी हवा हमारे जीवन के लिए कितनी आवश्यक है जहां हम सभी भली-भांति जानते हैं इससे बच्चों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता था और लोगों के सामने किस तरह से पेश आना, खुद को संभालना यह सब खुद ही बच्चे सीखते थे। किस प्रकार बाहर का वातावरण और बाहरी दुनिया मैं उनके द्वारा की जाने वाली गतिविधियां उनके बौद्धिक विकास के लिए बहुत सहायक साबित होती थी।
      लेकिन आज जमाना कुछ और है आजकल मां बाप के पास इतना समय नहीं है। बहुत से घरों में तो माता पिता दोनों नौकरी पेशा होते हैं जिससे वह अपने बच्चों पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते, फिर बच्चे दिन भर घर पर, और उनका सहारा मोबाइल और टीवी बन जाता है। जिस वजह से आज कल के बच्चों को आंखों की परेशानी बचपन से ही हो जाती है। बच्चे ज्यादातर घर पर ही रहते हैं जिससे उनका वजन बढ़ने लगता है बच्चे बाहर निकलते नहीं कुछ खेलते नहीं जिससे उनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है आज के जमाने में यह परेशानी हर घर में देखने को मिल जाएगी बच्चों के बौद्धिक विकास को रोकने के लिए यह सभी कारण काफी है। इसलिए हम मां बाप का फर्ज है कि हम आज कितने भी व्यस्त क्यों ना हो पर अपने बच्चों के लिए हफ्ते में कम से कम 2 दिन निकाले उनकी परेशानी जानने की कोशिश करें उनसे बात करें बच्चों को बाहर घुमाने फिराने ले जाए उन्हें बाहरी दुनिया से अवगत कराएं उनके लिए क्या सही है क्या गलत यह बातें भी तो हमें ही बतानी होगी। और सबसे जरूरी बात , हम माता पिता को ही मोबाइल का इस्तेमाल कम करना होगा बच्चे जैसा देखेंगे वैसा ही करेंगे इसके लिए पहले सुधार हम माता पिता को अपने ऊपर करना होगा क्योंकि बच्चे आजकल मोबाइल के आदी हो गए हैं, जिस वजह से उनकी बौद्धिक क्षमता पर बहुत बुरा असर हो रहा है। इसलिए हम माता पिता को पहले अपनी गलती सुधारना पड़ेगा, ताकि हमारे बच्चों का सही ढंग से बौद्धिक विकास हो सके।

कंचन जायसवाल, नागपुर महाराष्‍ट्र 


 

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