वर्ष 3 अंक 1 जनवरी से मार्च 2021
नवल मधुमास "
महके
मधुबन
- सा
जीवन
गुंजार
करे
भ्रमर
- सा
मन
बजे खुशियों की पायल
कूके मन के आंगन कोयल
करे
ना
अपनों
से
कोई
छल
बने
मन
पावन
जैसे
गंगाजल
उमंगों
की
हो
मन
में
नव
तरंगें
हर्ष
सुमन
खिले
हो
रंग
बिरंगे
नववर्ष
लेकर
आए
जीवन
में
नव
मधुमास
महके हर तन मन लेकर नव सुवास
सजे
घर-घर संस्कृतियों की थाली
फैले
चहुं
ओर संस्कारों की सुरभि निराली
सपने सच हो सबके सहनी पड़े ना अब कोई पीर
पूर्ण हो अभिलाषा हृदय की चाहे अब यही "नीर"
निरुपमा त्रिवेदी,इंदौर
0 टिप्पणियाँ