बुंदेली बतरस एक अतुलनीय काव्यसंग्रह है-पद्मश्री विजय दत्त श्रीधर

वर्ष-:3 अंक -: 1 जनवरी 2021 से मार्च 2021

भोपाल। 23 जनवरी 2021 को  दोपहर 2 बजे स्‍थानीय हिंदी भवन के महादेवी वर्मा कक्ष में डॉ मीनू पाण्डेय नयन के बुंदेली काव्यसंग्रह "बुंदेली बतरस" का विमोचन एवं समीक्षा समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर श्री कैलाश चंद्र पंत, मंत्री संचालक, राष्ट्र भाषा प्रचार समिति ने कहा कि विभिन्न विषयों को भावों में इस तरह पिरोया गया है कि यह पुस्तक संग्रहणीय बन गई है। लेखिका की पुस्तक के लोकार्पण के माध्यम से बुंदेली के बतरस का रसास्वादन हम सभी ने लिया। ये बहुत कम होता है कि पुस्तक का लोकार्पण हो और कुछ विमर्श हो जाए और संकेत मिले कि आगे इस दिशा में ये काम करना है।इसलिए मैं इसे बहुत सार्थक मानता हूँ  हिंदी में दस रस थे। ग्यारहवा रस वात्सल्य सूरदास के पदों को पढकर आया। मगर बारहवां रस आपने स्थापित कर दिया।

इस समारोह की अध्यक्षता डाॅ सुरेन्द्र बिहारी गोस्वामी, पूर्व निदेशक, मप्र हिंदी ग्रंथ अकादमी, भोपाल ने की। आपने  कहा कि बुंदेली जैसी मीठी बोली में सृजन को बढ़ावा देने की बहुत आवश्यकता है आपने बताया कि बुंदेली बतरस में विविध विषयों जैसे रीति रिवाज, पर्यावरण, त्यौहार, मौसम और अन्य सभी समसामयिक विषयों को समाहित कर 81 रचनाऐं लिखीं गई हैं। जो कि लेखिका के  संपूर्ण व्यक्तित्व  एवं सोच का प्रतिनिधित्व करतीं हैं। मुख्य अतिथि  पद्म श्री विजय दत्त श्रीधर, संस्थापक माधवराव सप्रे संग्रहालय, भोपाल ने कहा बुंदेली बतरस बुंदेलखंड के रीति रिवाज को प्रतिनिधित्व करने वाली रचनाओं को समाहित किये हुए है। ऐसी पुस्तकें ही समाज में एक मार्गदर्शक की भूमिका निभातीं हैं।

विशिष्ट अतिथि श्री रघु ठाकुर, चिंतक, विचारक एवं लेखक ने कहा कि इस पुस्तक में अनेकों रिश्तों और खासकर माँ के मन की भावनाओं को बखूबी प्रस्तुत किया गया है। आपने कहा कि बुंदेली बोली की अपनी एक अलग पहचान है, जो हमें धरोहर के रूप में मिली है। और उसे जीवित रखना हर बुंदेलखंडी की जिम्मेदारी है और इस दिशा में यह पुस्तक बहुत सफल सिद्ध होगी। इस पुस्तक में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को मार्मिक रूप से प्रकट किया गया है। और रचनाओं के अंत में उन समस्याओं का समाधान भी आक्रोशित मन से  प्रकट किया गया है। किसान पर रचना, उनकी वास्तविक स्थिति दर्शाती है। कुछ रचनाऐं न्याय व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह उठाती हैं। और आक्रोश भी प्रकट करतीं हैं। देशभक्ति से ओतप्रोत कई रचनाऐं हें। लेखिका की नारी सिर्फ एक पीड़ा का भाव ही नहीं है बल्कि सशक्त नारी है जो समाधान के साथ प्रस्तुत है। सारस्वत अतिथि  डाॅ पुष्पेंन्द्र पाल सिंह, प्रधान संपादक, मध्यप्रदेश माध्यम ने कहा कि नई शिक्षा नीति में प्रांतीय भाषाओं को महत्व दिया गया है इसके लिए अब इस बोली में साहित्य सृजन की अति आवश्यकता है।इस पुस्तक में लेखिका ने कोई विषय नहीं छोड़ा है। किसान, स्त्री शक्तिकरण, धार्मिक भाव में  गणेश जू, मैया जी, कान्हा जू, राम जू और यहां तक कि रावण को भी लिया है। पर्यावरण, चिरैया, भोपाल गैस कांड और कोरोना जैसे समसामयिक विषयों को भी लिया है। हर विषय पर बात उसी शैली में की है जो उस विषय के अनुरूप है। पुष्पेंन्द्र सिंह पाल बुंदेली बतरस जैसी पुस्तकें हमेशा विद्यार्थियों को कुछ नवीन जानकारी देने में सफल रहेंगी।

पुस्तक की समीक्षा करते हुए श्री प्रभु दयाल मिश्र, अध्यक्ष, महर्षि अगस्त्य वैदिक संस्थानम, भोपाल ने कहा कि यह पुस्तक बुंदेली संस्कृति को पोषित करने में मदद करेगी, खासकर तब जब हम अपनी जड़ों से दूर होते जा रहे हैं।
पुस्तक का आरंभ सरस्वती वंदना एवं गणेश वंदन से आरंभ करना,भारतीय संस्कृति के मंगलाचरन की परंपरा का निर्वाह करना है।अनेकों आयाम जैसे भक्ति के गीत, अध्यात्म, लोक जीवन, स्त्री विमर्श, जीवन, राष्ट्रीय, समाज भी है और समसामयिकता भी है। भोपाल गैस कांड की कविता ऐतिहासिक धरोहर बन पड़ी है। श्री मनोज जैन मधुर, वरिष्ठ कवि एवं समीक्षक ने कहा कि इस पुस्तक की विशेषता यह है कि सभी समसामयिक विषयों को प्रेरणात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है। श्री महेश सक्सेना, वरिष्ठ बाल साहित्यकार ने कहा कि बुंदेलखंड के तीज त्योहारों के मनाने के तरीके एवं उनकी उपयोगिता को बेहद खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया है कि बाल मन पर भी ये रचनाऐं अमिट छाप छोडेंगी। साथ ही साथ लेखिका की आध्यात्मिक सोच देवी देवताओं पर लिखी विभिन्न रचनाओं में अभिव्यक्त हो रही है। डाॅ मोहन तिवारी आनंद, अध्यक्ष, तुलसी साहित्य अकादमी ने बुंदेली बतरस की रचनाओं की काफी सराहना की।
गाडरवारा से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार श्री नंदकिशोर शर्मा ने बताया कि बुंदेली बतरस में नारी मन की व्यथा से लेकर एक सशक्त नारी की सोच और अपने निर्णयों को लेने की क्षमता को बड़ी सजीवता से रचनाओं के माध्यम से व्यक्त किया गया है जो कि नारी की वर्तमान स्थिति का सजीव चित्रण है। ऐसी रचनाओं की समाज को आवश्यकता है। कार्यक्रम के अंत में सभी आमंत्रित अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट किए गए। भोपाल की साहित्यिक संस्थाओं के प्रमुखों ने लेखिका का स्वागत पुष्प गुच्छ, श्रीफल एवं शाल से किया। अत्यंत मधुर एवम विनोदपूर्ण संवाद शैली में गोकुल सोनी, वरिष्ठ कथाकार एवं व्यंग्यकार ने कार्यक्रम का संचालन किया। सरस्वती वंदना डाॅ रंजना शर्मा ने प्रस्तुत की। आभार वरिष्ठ बाल साहित्यकार महेश सक्सेना ने व्यक्त किया। बुंदेली बतरस बुंदेली बोली में डॉ मीनू पाण्डेय द्वारा रचित एवं आरिणी चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित है। यह एकल काव्य संग्रह है, जिसमें 81 रचनाऐं समाहित हैं।बुंदेली बोली में लिखीं सभी रचनाऐं अतुलनीय हैं।कार्यक्रम में शहर के सौ से अधिक साहित्यकारों ने अपने उपस्थिति दी।


 

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