अधूरी कहानी से आगे-अलका पाण्‍डेय

 वर्ष 3 अंक 1 जनवरी से मार्च 2021

 

4) हवा के तेज झोके के साथ आई बारिश की बूँदो ने उस खत को जिससे मेरे अश्‍क पहले ही आधा भिगो चुके थे, पूरा भिगा दिया, उसकी स्‍याही इस कदर फैल गई थी कि लिखे शब्‍द तो शब्‍द अक्षर भी अपना अस्तिव खो चुके थे। मगर मैं............ अधूरी कहानी से आगे

अपने अस्तित्व को खोने नही दूँगी , प्यार ने ठुकरा दिया तो क्या ...? जीवन ख़त्म नही हुआ पूरी ज़िंदगी बाकी है । मैं  श्याम को बता दूँगी तुमने मुझे ठुकरा कर ग़लती की , पछताऊँगी मैं नही तुम मेरे साथ किये व्यवहार का बदला ईश्वर पर छोड़ती हूँ यह सोचते ही निहारिका अपने आप को हल्का महसूस करने लगी उठी और हवा मे श्याम का नाम हमेशा के लिये उड़ा दिया एक लम्बी साँस लेकर घर आ गई,जल्दी आते देख माँ ने पूछा बेटा आज ओवरटाइम नही किया जल्दी आ गई हाँ माँ सर भारी हो रहा है , तबियत ठीक नही लग रही थी सो आ गई ।
           माँ ने निहारिका का सर दबाया बाम लगाकर बोला जा कुछ तेर सो जा खाने के लिये जगा दूँगी । निहारिका को नींद कैसे आती सर व मन दोनो चकरा रहे थे श्याम का धोखा वह सहन नही कर पा रही थी तीन साल का प्यार एक दम भूलाया भी तो नही जा सकता अच्छा ही हुआ जो अभी पता चल गया शादी के बाद होता तो वह उठी पानी मूंह पर मारा माँ को कहाँ माँ मैं खाना नही खाऊँगी एक कप चाय बना दो उसके साथ टोस्ट खा लेती हूँ ,
और निहारिका कम्प्यूटर पर बैठ कई कम्पनियों की प्रोफ़ाइल निकाल चेंक करने लगी फिर उसे ख्याल आया एक कम्पनी में उसे सीनियर मैनेजर की जॉब मिल रही थी पर उसने की नही , श्याम के कारण वह शहर से बहार नही जाना चाहती रोज जो शाम को आंफिस के बाद मिलते थे , घंटो बाते करते समय का पता ही नही चलता रात हो जाती माँ पूछती तो कह देती ओवरटाइम था, निहारिका जल्दी से यहाँ से दूर जाना चाहती थी । उसने देखा और पुन : आवेदन कर दिया । तब तक माँ चाय लेकर आ गई थी । उसने चाय पी और नये सबरे का इंतज़ार करने लगी ।
सुबह उठी माँ को कहा माँ मै आज जल्दी आ जाऊगी आप तैयार रहना हम पिक्चर देखने चलेंगे बहुत दिनों से आप को कही घूमाने नही ले गई हूँ ।
माँ बहुत खुश हो बोली माँ रात का खाना वग़ैरा सब बना कर तैयार रहूँगी तेरे पापा को भी  पूछती हू वो जल्दी आ गये तो उन्हें भी ले लेंगे । ठीक है माँ निहारिका कह कर निकल गई , आज वह बहूत ख़ाली लग रही थी ,आफिस भी अलग लग रहा था दोपहर को लंच करने बैठी तो फोन आ गया उसी कम्पनी से उसने हाँ कर दिया कम्पनी पूना की थी एक महिने बाद ज्वाइन करना था ।
उसने कम्पनी को एक महिने का नोटिस दे दिया और माँ पिता के साथ फ़िल्म देखकर लौटते समय बता दिया की मैं पूना में नई जॉब एक महिने बाद ज्वाइन कर रही हूँ माँ ने समझाया पर वह बोली माँ प्रमोशन के साथ तनख़्वाह डबल है आगे बढ़ना है जीवन मे मन कह रहा था श्याम के शहर में नही रहना । नया शहर नये लोग और नये दोस्त
मेरे अस्तित्व की लडाई है , मैं जीत कर उसे दिखाऊँगी तू कहाँ और मैं कहाँ ......


अलका पाण्डेय- मुम्बई


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