वर्ष 3 अंक 1 जनवरी से मार्च 2021
टुकुर-टुकुर सब ताक रही हैं-
अभिलाषाएं जाग रही हैं,
कठिन काल अब जाओ छोड़कर-
मन में आशाएं झांक रही हैं.
अर्पित करने हैं सारे गम-
सुफल मिलें तब ही लेंगे दम,
त्वरित तोड़ कर बंधन सारे-
बढ़ें सुपथ पर सजग कदम.
दूर हो दूरी हाथ मिलाएं-
नए वर्ष का जश्न मनाएं,
हिलमिलकर खुशरंग बिखेरें-
खुलकर सांस लिये मुस्काएं.
सैर-सपाटा गप्पें शप्पें-
बालक भी गलियों में चहकें,
महिलाएं बतियाएं मिलकर-
सबके घर और द्वारे महकें.
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स्वरचित-
डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम'
सी-211
पर्यावरण काम्प्लैक्स
सैदुलाजाब
नई दिल्ली-30
दूरभाष-9868176767
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