लव ज़िहाद-स्‍वराक्षी

वर्ष 3 अंक 1 जनवरी से मार्च 2021

नहीं करेगा कोई यहां पे
तेरी समस्या का समाधान
हे भारत की बाला जागो
कर दो नव युग का निर्माण ।।

मत  फेंको  तुम गलत  निगाहें
काफ़िर  की   मद  नजरों  पर
हो अंजान क्यों खिल उठती है
मधुर  मुस्कान तेरे अधरों पर ।।

चाह रहा  वो शील तुम्हारा
पल  में  मिट्टी  मिल  जाए
पग  में  फिर   से   तेरे  वो
जंजीर दासत्व का पहनाए ।।

समझ  रही  न  तुम   चालाकी
 इन   पाश्चात्य     विधर्मी   की
भूल न अपनी सभ्यता संस्कृति
छोड़ो   बांह    अधर्मी   की  ।।

भारत ने कभी न बनने दिया
भोग्या   केवल    नारी    को
क्यूं भूल रही हो तुम  बालाएं
देवी  तारा  की  कटारी  को  ।।

याद करो तुम सहनशीलता
रानी    लक्ष्मी   बाई     की
 गाल   कटाई,  गोली  खाई
नमन  है  उस  तरुणाई की ।।

क्यूं भूल रही तुम क्षमाशीलता
लक्ष्मण   पत्नी   उर्मिला   की
कैकयी  ने पति को वन  भेजा
पर  चौदह  वर्ष तक  सेवा की ।।

और   दिलाऊँ    याद     तुम्हें
क्या   भारत   की   नारी   का
क्या अब भी सफल होने दोगी
 मंसूबा    व्यभिचारी       का ??

हिंदुत्व है इक भव्य धरोहर
प्राणबलि   दे  रक्षा    करो
जागो  आर्यपुत्रियों   जागो
भारत-भू  की   रक्षा   करो

#स्वयं_शील_सुरक्षा_करो।।
#स्वरा स्वयं की रक्षा करो।।
 
 
स्वराक्षी स्वरा
खगड़िया बिहार

 
 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ