देशभक्ति ले अपार
संस्कृति का उपहार
संस्कारों की ले सुरभि
हनुमान सा चरित्र बल भी
पवित्र भाव धार
परहित जीवन कर
योग का ले संबल
भविष्य बना उज्जवल
नव समीर श्वास में भर
संभल सजग तू वीरवर
नित कर्म पथ पर
चल हो अग्रसर
रह मौन मत युवा
चल जगा नवचेतना
ले निंद्रा न तू गहरी
चल हो सजग प्रहरी
देख रहा फिर विश्वपटल
विवेकानंद सा ले विवेक चल
भारत भारती का फिर
कर तू अद्भुत सिंगार
निरुपमा त्रिवेदी , इंदौर
मध्यप्रदेश
0 टिप्पणियाँ