वर्ष 3 अंक 1 जनवरी से मार्च 2021
घर
बट गया ,धन ,गहना , जमीन बंट गया। मोहल्ले में किसी को कानों-कान पता
नहीं चला ,अब बारी थी अम्मा, बाबूजी की, कि वह किसके हिस्से में रहेंगे,
पूरा मोहल्ला जान गया, कि सोमारू के घर बंटवारा हो रहा है। रिश्तेदार आ गए
,आज तीन दिन हो गए, उसी कमरे में बंद अम्मा बाबूजी ,जिस घर को बनाने में
एड़ी चोटी का जोर लगाया , एक-एक ईंट को अपने हाथों से जोड़ा ,अपना पूरा
जीवन यही बीता दिया। अम्मा बाबूजी ने दुख -सुख साथ मिलकर सहा है इस घर
में, उन्हें इस घर से जाना पड़ेगा,यह सोंचकर बाबूजी के आंखों से आंसू बह
रहे थे, उन्होंने खाना भी नहीं खाया था। दोनों बच्चे नालायक निकल गये,
जिन्होंने घर और घर का सामान तो बांट लिया ।मां का मंगलसूत्र तक बांट लिया
।वे दोनों इस बात पर झगड़ा कर रहे थे कि सोनू कह रहा था रमेश से कि आप
बड़े हो तो अम्मा बाबूजी को आप रखो, और रमेश सोनू से कह रहा था कि तुम रखो।
आखिर में दोनों पन्द्रह -पन्द्रह दिन रखने को तैयार हो गये। रमेश ने कहा अगर 31का महिना हुआ तो एक दिन का क्या करेंगे? सोनू ने कहा एक दिन किसी भी रिश्तेदार के यहां रह लेंगे । रिश्तेदार यह तमाशा देख रहे थे , पर किसी के मुंह से यह नहीं निकल रहा था कि मां बाबूजी हमारे साथ चलो। बाबूजी बार-बार यही कह रहे थे बेटा सब कुछ ले लो लेकिन मुझे इस घर से मत निकालो क्योंकि यहां मेरे बहुत सपने हैं । उसी समय गांव से पुराना नौकर रामू आ गया ,और यह सब देख कर दंग रह गया । अम्मा बाबूजी को रोते देख कर उसका कलेजा मुंह को आ गया, उनसे लिपट कर रोने लगा , कहने लगा बबुआ ये क्या कर रहे हो? अम्मा बाबूजी के आंख से जितने आंसू गिर रहे हैं उनका एक-एक आंसू का हिसाब तुम्हें इसी जन्म में चुकाना होगा। उन्होंने अपना पेट काट -काट कर तुम्हें पढ़ाया लिखाया और उसका तुमने यही सिला दिया ।रामू एक बक्सा लाया ।अम्मा बाबूजी के कपड़े रखे ,और उन्हें अपने साथ गांव और ले जाने लगा ।मां मैं जब तक जीवित हूं तब तक आप मेरे ही साथ रहेंगे ।अम्मा बाबूजी जाते-जाते घर पलट पलट कर अपना घर द्वार देख रहे थे ।आंखों से अश्रु की अविरल धारा बह रही थी।रामू ने जाते -जाते कहा बबुआ जैसे बोओगे वैसा ही काटोगे , तुम्हारे भी बच्चे हैं।
आखिर में दोनों पन्द्रह -पन्द्रह दिन रखने को तैयार हो गये। रमेश ने कहा अगर 31का महिना हुआ तो एक दिन का क्या करेंगे? सोनू ने कहा एक दिन किसी भी रिश्तेदार के यहां रह लेंगे । रिश्तेदार यह तमाशा देख रहे थे , पर किसी के मुंह से यह नहीं निकल रहा था कि मां बाबूजी हमारे साथ चलो। बाबूजी बार-बार यही कह रहे थे बेटा सब कुछ ले लो लेकिन मुझे इस घर से मत निकालो क्योंकि यहां मेरे बहुत सपने हैं । उसी समय गांव से पुराना नौकर रामू आ गया ,और यह सब देख कर दंग रह गया । अम्मा बाबूजी को रोते देख कर उसका कलेजा मुंह को आ गया, उनसे लिपट कर रोने लगा , कहने लगा बबुआ ये क्या कर रहे हो? अम्मा बाबूजी के आंख से जितने आंसू गिर रहे हैं उनका एक-एक आंसू का हिसाब तुम्हें इसी जन्म में चुकाना होगा। उन्होंने अपना पेट काट -काट कर तुम्हें पढ़ाया लिखाया और उसका तुमने यही सिला दिया ।रामू एक बक्सा लाया ।अम्मा बाबूजी के कपड़े रखे ,और उन्हें अपने साथ गांव और ले जाने लगा ।मां मैं जब तक जीवित हूं तब तक आप मेरे ही साथ रहेंगे ।अम्मा बाबूजी जाते-जाते घर पलट पलट कर अपना घर द्वार देख रहे थे ।आंखों से अश्रु की अविरल धारा बह रही थी।रामू ने जाते -जाते कहा बबुआ जैसे बोओगे वैसा ही काटोगे , तुम्हारे भी बच्चे हैं।
श्रीमती शोभा रानी तिवारी,
619, अक्षत अपार्टमेंट खातीवाला टैंक इंदौर
मोबाइल 8989409210
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