भ्रष्टाचार का आरोपी ग्राम प्रधान 20 दिन बीत के बाद भी नहीं गिरफ्तार, गहमर कोतवाल और जमानियॉं उपजिलाधिकारी हाथ पर हाथ रखें सो रहे हैं गहरी नींद,गहमर पुलिस ने खोला जाल चीडि़या जाल से उड़ गई
गहमर-पंचायती चुनाव 2015 के कार्यकाल 25 दिसम्बर 2020 के समाप्त होने से महज 3 दिन पहले ग्राम सभा गहमर की ग्राम प्रधान मीरा देवी चौरसिया पर लगभग पौने दो करोड़ रूपये के गबन का आरोप लगता है। थाने में प्राथमिकता दर्ज की जाती है मगर उनकी गिरफ्तारी या उन पर अन्य कानूनी कार्यवाही आज 15 जनवरी तक नहीं होती है। जबकि कहा जाता है कि ग्राम प्रधान मीरा देवी चौरसिया की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने कई बार छापा मारा मगर वह नहीं मिली। वही मीरा देवी चौरसिया के पति एवं उनके प्रतिनिधि खुले आम विचरण करते नज़र आते हैं उनको हिरासत में लेकर पुलिस कोई पूछताछ कड़ी कार्यवाही करती नज़र नही आती है। जबकि एक सामान्य मारपीट में आरोपी के न मिलने पर पुलिस न उसके घर के सबको हिरासत में ले लेती है। महिलाओं तक को गालीयॉं देती है। खास तौर से गहमर पुलिस।
अब ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या चुनाव से ठीक पहले मीरा देवी पर यह आरोप क्या किसी आगामी साजिश का हिस्सा है? जबकि मीरा देवी पर भ्रष्टाचार के आरोप वर्ष 2016 से ही लग रहे हैं। कई बार जॉंच आई, जॉंच आई, जॉंच आई और गई मगर कभी कार्यवाही नहीं हुई और चुनाव से ठीक पहले जॉंच भी आई, आरोप भी सिद्व हुआ, प्राथमिका भी दर्ज हुई और मीरा देवी फरार भी हो गई, मगर न उनके पति के खिलाफ कार्यवाही हुई, न मीरा देवी को भगोड़ा घोषित किया गया और न उनकी सम्पति ही कुर्क का आदेश आया। मैं फिर कह रहा हूँ कि यदि कोई जन समान्य होता तो निश्चित तौर पर वह अब तक अपने मुकाम पर पहुँच गया होता। अब ऐसे में यह सवाल खड़ा हो रहा है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में किसानो के पक्ष में धरना करने पर उत्तर प्रदेश में धारा 144 लगा दिया जाता है ताकि कोई धरना न कर पाये। सपा, बसपा, कॉंग्रेस व अन्य दलो के विधायक तक को पुलिस किसी प्रकरण में रोक देती है, जन सामान्य को तो अपने हक की लड़ाई लडने की इजाजत के बारे में सोचना भी गुनाह तो क्या कोई भारतीय जनता पार्टी का कोई सांसद, विधायक, जिलाध्यक्ष ने ग्राम प्रधान गहमर के सर पर अपना हाथ रखा है ?या उत्तर प्रदेश शासन के उच्चधिकारी, गहमर कोतवाल माया के जाल में लिपट कर ग्राम प्रधान के गिरफ्तारी की जाल को खोल कर कह दिये है कि 'चीडिया जाल से उड़ जा, चीडिया जाल से उड़ जा और ग्राम प्रधान मीरा देवी उड़ गई।
इस जॉंच का एक पहलू मुझे और नज़र आता है कि कही कोई सत्ताधारी दल का इस लिए तो इस जॉंच-जॉंच का खेल नहीं खेल रहा है? ताकि राजपूत समाज को बदनाम कर पुन: गहमर ग्राम प्रधान का ताज मीरा देवी या उनके पति को पहनाया जा सकें? चुनाव से पहले हुई इस भ्रष्टाचार की कार्यवाही से ग्राम प्रधान गहमर अपने पक्ष में गॉंव के पिछड़े वर्ग, अनुसूचित एवं अनुसूचित जनजाति में यह मैसेज या संदेश फैलाया ला सके कि 'हम तो ठहरे पिछड़ी जाति के लोग, बाबू साहब का गॉंव है वह हमें देख नहीं पा रहे थे इस लिए इस प्रकार की हमें फँसाने की कार्यवाही करा दिये। इस लिए आप लोग एक हो जाईये और चुनाव में हमारी मदद करीये ताकि हम गरीबों के पिछड़े वर्ग के, अनुसुचित जाति व जनजाति के अपमान का बदला लें सकें। वैसे भी इस क्षेत्र की सक्रिय राजनीति में हिस्सा लेने वाले प्रमुख लोग कभी नहीं चाहेगें कि गहमर का प्रधान कोई राजपूत हो, क्योंकि राजपूत कितना भी असम्पन्न होगा, करेंगा अपने मन की ही, आप उसे दबा नहीं सकते अपने धन और बल से, उसे आप जितना परेशान करेगें वह उतना ही तन के आपके खिलाफ खड़ा होगा यह सच्चाई है।
इस लिए अभी तक मीरा देवी का गिरफ्तार न होना, फरार रहने पर शासन द्वारा कोई बड़ी कार्यवाही न होना, रघु मेडिकल स्टोर से हाजमोला और इनों खरीद कर खाने-पीने के बाद भी हजम नहीं हो रही हैं। भाजपा का शासन चुस्त है, एस0डी0एम0सेवराई व कोतवाल गहमर बिल्कुल चुस्त व दुस्त है, शासन सत्ता के प्रति बिल्कुल ईमानदारी से काम कर रहे हैं ऐसे में भ्रष्टाचार के आरोपी ग्राम प्रधान के साथ यह रियायत सवाल तो पैदा करेगा ही। उम्मीद करते हैं जैसे रेलवे के खिलाफ धरना देने वालो पर गहमर कोतवाल ने तुरंत कार्यवाही कि और शासन के आदेश का पालन करते हुए किसान मेले पर कोई नियम न लगा कर शांति पूर्ण धरने को नियमों से बाध कर रोका, भ्रष्टाचार के आरोपी गहमर प्रधान पर भी तत्काल कार्यवाही करेगें।
अखंड प्रताप सिंह
प्रकाशक साहित्य सरोज
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