वर्ष 3 अंक 1 जनवरी से मार्च 2021
प्रापोज डे स्पेशल
प्रेम का प्रस्ताव तुम्हारे सामने रखने के लिए,
हमने प्रस्ताव-दिवस की प्रतीक्षा की ।
तुम्हारे संग दूर तक चलने के लिए,
हर राह के कंटक-रहित होने की इच्छा की ।
वाक़िफ़ हूँ यूँ तो इस चाहत के अंजाम से,
फिर भी तुमसे हाले-दिल बताने की हिम्मत की ।
माना इश्क़ इकतरफ़ा ख़तरों से भरा होता है,
फिर भी इस दिल ने हर बार तुम्हारी ही हसरत की।
प्रेम मेरा सच्चा है यह तुम्हें समझाऊँ कैसे,
तुम्हारे बिन जीना नहीं मुमकिन यह बताऊँ कैसे?
ज्ञात है कि कोई हक़ नहीं है तुम पर मेरा ,
सब जानकार भी मैं हक़ जताऊँ भी कैसे ?
प्रेम का यह प्रस्ताव स्वीकारो या ठुकराओ,
पर हसरत है कि तुम सदा के लिए ह्रदय में ठहर जाओ ।
सीमा रानी मिश्रा, हिसार
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