काश! तेरे हाथों में एक लाल गुलाब हो,
जिसकी सुर्खी से मेरा जीवन माहताब हो।
तेरे सीने पर सिर रखकर सोई रहूँ,
मधुर मिलन के सपनों में खोई रहूँ,
प्रेम की पहली पाती लिखूँ मैं तुम्हें,
मेरी बेचैनियों के जिनमें जवाब हो।
काश! तेरे हाथों में एक लाल गुलाब हो...
मिलते रहें हम तुम प्रेम के नगर में,
तमन्नाओं के आँगन में,हसरतों के घर में,
मैं लता की तरह तुमसे लिपटी रहूँ,
मेरे पास तेरे दिल का तोहफ़ा नायाब हो।
काश! तेरे हाथों में एक लाल गुलाब हो...
सुहाग कक्ष हो खुश्बुओं से सरोबार,
सारे मीठे सपने हो जायें साकार,
शब्दों की माला तुम पिरोते रहो सनम,
तेरे हाथों में मेरे मन की किताब हो।
काश ! तेरे हाथों में एक लाल गुलाब हो....
चाहतों की बारिश में उम्र गुज़रे तमाम,
प्यार करते रहें सनम से सुबह और शाम,
सुनते रहें हम तुम धडकनों की सदा,
मुकम्मल हो ज़िन्दगी, पूरे सभी ख़्वाब हो।
काश! तेरे हाथों में एक लाल गुलाब हो...
प्रीति चौधरी "मनोरमा"
जनपद बुलन्दशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित।
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