चाहत हो तुम -सीमा

 वर्ष-:3 अंक -: 1 जनवरी 2021 से मार्च 2021

टेडी डे/ खिलौना-दिवस  

दे दो एक प्यारा-सा उपहार,
भरा हो जिसमें तुम्हारा प्यार ।
ऐसा उपहार जो रहे दिल के पास,
जो हो सबसे अलग, सबसे ख़ास।
एक छोटा-सा गुलाबी रंग का टेडी,
भरी हो जिसमें मख़मल-सी नरमी।
जिससे करूँ मैं अपने मन की बात,
बिना टोके जो सुनता रहे सब चुपचाप।
दिलाता रहे हमेशा तुम्हारी याद,
होने न दे हमारे बीच कभी विवाद।
तुमसे मिलना मुश्किल हो सकता है,
पर ये सहजता से मेरे संग रह सकता है।
यह मात्र खिलौना नहीं, हमराज़ होगा,
हमारे इस मौन-प्रेम की बुलंद आवाज़ होगा।

चाहत हो तुम (Hug Day)

आओ आज हम-तुम मिलकर गले,
कर लें दूर अपने हर शिकवे-गिले।
ज़िंदगी में ख़ुशियों के हैं गुल खिले,
जब से सनम हम तुमसे मिले।
चाहा है तुम्हें, चाहत हो तुम ही,
पाया है तुम्हें, क़िस्मत हो तुम ही।
ख़्वाब हो तुम और हक़ीक़त हो तुम्हीं।
मेरी दुनिया और ज़िंदगी हो तुम्हीं।
तुम्हारे गले लगकर ग़म भाग जाए,
सोती हुई क़िस्मत भी जाग जाए।
अब तुमसे दूर हम कहाँ जाए,
तुमसे मिलकर ही मुझे तो चैन आए।

                  -सीमा रानी मिश्रा

नोट - मेरी यह रचना मौलिक व अप्रकाशित है।


 

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