प्रेम का इजहार-प्रीति चौधरी

 

वर्ष 3 अंक 1 जनवरी से मार्च 2021
 
 प्रपोज़ डे

आज करते हैं हम प्रेम का इज़हार
हमें आपसे प्रिय हो गया है प्यार।
आपकी याद सताती है दिन-रात,
हर क्षण हृदय रहता है बेक़रार।

शब्दों से मन मोह लिया है आपने,
 नयनों से किया है उर पर सहज वार।
प्रेम पीयूष झरता है आँखों से,
ज्यों बरसती है सावन की फुहार।

नीरव जीवन में बज उठे हैं मृदंग,
मतवाले भ्रमर की हो जैसे गुँजार।
रवि रश्मियों सा है साथ तुम्हारा,
दीप्तिमान हुआ है मेरा संसार।

एक बूँद प्रेम की दृग खोजते थे,
अहा! मिल गया प्रेमसागर अपार।
नैराश्य उर से पलायन कर गया,
आशाओं के दीप जलते हैं हजार।

माना जीवन है अमूल्य वरदान,
आप हैं सबसे अमूल्य उपहार।
छँट गए दुःख के घन अंतर्मन से,
हृदय का मौसम हुआ खुशगवार।

प्रेम है समर्पण,निष्ठा का विषय,
लेशमात्र नहीं छल,दंभ दिलदार।
प्रिय के अधरों पर सदैव हँसी हो,
न हो नयनों में अश्रुओं की धार।

प्रेम में तन,मन,जीवन समर्पित,
प्रिय का आत्मा पर है अधिकार।
प्रेम का शासन हृदय पर होता है,
आत्मा को आत्मा करती है अंगीकार।

सच्चे प्रेमी यही कहते रहते हैं,
प्रेम की अधीनता हमें है स्वीकार।
आत्मा से आत्मा का सम्बंध है,
प्रेम है जैसे चिरकालिक बहार।

प्रीति चौधरी "मनोरमा"
जनपद बुलन्दशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित।
 

 

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