वर्ष 3 अंक 1 जनवरी से मार्च 2021
सुनो प्रभात !!
मेरी बात
अब के जो आना
बांध लाना
कलाई पर
अपनी घड़ी भी
कहोगे अगर
जाने के लिए
तुम मुझसे कभी
अपने दामन से
अटकाकर
रोक लूंगी
मैं तुम्हें उस पल
फिर .......
सुकून से
रहेंगे हरपल
हरदम ही
मैं और तुम
भर लेंगे
रंगों की चटख
बुन लेंगे
कुछ हसीन स्वप्न
सजा लेंगे
सब्जबाग
मैं और तुम
सुनों प्रभात!!
निरुपमा त्रिवेदी ,इंदौर
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