प्रेम प्र‍तीक - नीलम शर्मा

 

 

 वर्ष 3 अंक 1 जनवरी से मार्च 2021

 प्रेम प्रतीक में दूं तुम्हें गुलाब
तो बोलो क्या स्वीकार करोगे
मेरी श्रद्धा मेरे प्यार का
क्या  तुम विश्वास करोगे
तुम्हारे उन्नति के लिए
मैंने अब तक जो किये पूजा उपवास
तब क्या तुम अब उनको समझोगे
मेरी सेवा मेरे कर्म को
जो तुम अब तक न समझ सके हो
अलग किये उस फूल  को डाली से
जो बहुत समय तक रहता उस डाली पर
जो मैं तुमको भेंट करूँ तो रख
उसको किसी कोने में
क्या मेरे प्यार का आभास करोगे

 दिल के भावों को देकर शब्द
मैं तो बार बार इजहार करूंगी
सूख जाती है प्रेम बेल अनदेखी से
मैं तो बार बार तुम्हे देखा करूंगी
तुम्हें नहीं आता इजहार करना
तुम्हें नहीं आता दिल का हाल बताना
पर हाथ पर मेरे रख हाथ कहो
मेरे प्यार की कद्र करोगे ।


नीलम शर्मा विकासनगर उत्‍तराखंड 


 

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2 टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
बहुत ही सुन्दर कविता।